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आपस में ही लड़े चारा घोटाला के याचिकाकर्ता

चारा घोटाला को लेकर बिहार में राजनीति तेज हो गई है. आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव इस मामले में सजा पाकर जेल में है, लेकिन अब चारा घोटाले के याचिकाकर्ता आपस में भिड़ गए हैं.

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चारा घोटाला को लेकर बिहार में राजनीति तेज हो गई है. आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव इस मामले में सजा पाकर जेल में है, लेकिन अब चारा घोटाले के याचिकाकर्ता आपस में भिड़ गए हैं.

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इस मामले के एक याचिकाकर्ता सुशील कुमार मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा तो जदयू के सांसद शिवानंद तिवारी के बचाव में भाजपा के नेता सरयू राय ने मोदी पर पलटवार करते हुए एक कड़ी चिट्ठी लिख डाली.

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और चारा घोटाले के याचिकाकर्ता सरयू राय अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी से खासे नाराज हैं. उन्होंने अपनी नाराजगी उनको लिखी चिट्ठी से जाहिर की है. सुशील कुमार मोदी ने अपनी ही पार्टी के नेता गिरिराज सिंह से बयान दिलवाया कि सरयू राय पद की लालसा में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का चारा घोटाला मामले में बचाव कर रहे हैं.

सरयू राय ने पत्र में लिखा है, 'मुझे पद की लालसा नहीं है और आपको पता ही है कि चारा घोटाले ने बिहार और केन्द्र की राजनीति को कितना प्रभावित किया है. इससे आप अंजान नहीं हैं कि घोटाला करने वाले और घोटाले को संरक्षण देने वालों का हाथ कितना लम्बा रहा है इसे हम अच्छी तरह से जानते हैं. '

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सरयू राय ने लिखा है, 'जिस तरह से आप सीबीआई पर उंगली उठा रहे हैं उससे आरोपियों के समर्थकों के आरोप को बल मिलता है.'

सरयू राय ने यहां तक कहा कि आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने भी नीतीश कुमार का नाम इस तरह से नहीं लिया जिस तरीके से मोदी ने उठाया है.

सरयू राय ने लिखा है, 'नीतीश जी से मेरे संबंध आपसे छुपे नहीं हैं. यह दीगर है कि मैं आप जैसा उनका असीम प्रशंसक नहीं रहा हूं. उन्होंने तो एक मित्र के नाते 2009 के बाद भाजपा के साथ्‍ा रहते हुये कितनी बार मुझे बिहार रहकर उनकी सरकार में पसंद का कोई भी पद लेने के लिये मुझसे कहा. इस बारे में राष्ट्रीय स्तर के भाजपा के भी कई लोगों को पता है. यह करना होता तो मुझे आपकी स्तरहीन टिप्पणी का इंतजार करने की जरुरत नहीं रहती, जिसमें आपने मेरी क़ीमत आंकने की धृष्टता की है. यह टिप्पणी आपकी ओछी आत्मकेन्द्रित सोच की परिचायक है और घृणा एवं परिहास करने योग्य है. भूलना नहीं चाहिये कि हम एक दूसरे की औकात अच्छी तरह जानते हैं. अपनी सीमा मर्यादा का ख्याल रखना बेहतर होता है. सार्वजनिक छीछालेदर का रास्ता शुभ फलदायी नहीं होता. भ्रम फैलाने की कोशिश कितना भी पुरजोर क्यों न हो अंतत: सत्य की ही विजय होती है.'

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सरयू राय ने इस पत्र को लिखने से दो दिन पहले भी एक पत्र लिखा था, जिसमें स्पष्ट रूप से चेतावनी भी थी.

राय ने पत्र में लिखा है, ' इस संदर्भ में जनवरी 1996 के पहले और बाद की स्थिति से आप भलिभांति अवगत हैं. इस अवधि में इस घोटाला ने बिहार और केन्द्र की राजनीति को किस प्रकार और कितना प्रभावित किया है इससे भी आप अनजान नहीं हैं. घोटाला करने वालों और घोटाला को संरक्षण देने वालों का हाथ कितना लम्बा रहा है इसे हम सभी अच्छी तरह जानते हैं. लालू जी को सजा होने के बाद इन्हें कमतर आंकना भूल होगी. हमारी ओर से कुछ भी ऐसा नहीं होना चाहिये जिससे उन्हें अपनी साख जमाने का मौक़ा मिल जाय.'

दरअसल विवाद की शुरुआत सुशील कुमार मोदी ने एक प्रेस वार्ता में चारा घोटाले के ' किंग पिग ' रहे एस बी सिन्हा के 161 के बयान को जारी करने से हुआ, जिसमें कहा गया है कि एस बी सिन्हा ने उमेश कुमार सिंह के माध्यम से नीतीश कुमार को चुनाव खर्च के लिए 1 करोड़ रुपये दिए.

हांलाकि सुशील कुमार मोदी का कहना है कि झारखंड हाईकोर्ट में मामला आने के कारण उन्होंने सिर्फ एस बी सिन्हा का बयान पढ़ा है. उन्होंने अपने तरफ से आरोप नही लगाया है. लेकिन इतना जरूर कहा कि शिवानंद तिवारी जो इस मामले के याचिकाकर्ता थे बाद में इस मामले में आरोपी लालू प्रसाद यादव से मिल गए और राबड़ी सरकार में मंत्री भी बन गए.

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इस मामले में एक याचिकाकर्ता शिवानंद तिवारी ने सुशील कुमार मोदी को खूब खरी खोटी सुनाई क्योंकि सुशील कुमार मोदी ने एस बी सिन्हा के बयान के आधार पर कहा था कि शिवानंद तिवारी को चारा घोटाले का पैसा मिला था. सरयू राय ने इसका बचाव करते हुये कहा कि एस बी सिन्हा का बयान फर्जी है क्योंकि जिस सीबीआई अधिकारी ने 161 के तहत बयान लिया था वो अभियुक्तों से मिला था, जिसे बाद में पटना हाईकोर्ट के आदेश पर जांच से हटा दिया गया था. ऐसे में उस बयान का जिक्र करने का क्या मतलब है.

हांलाकि मोदी ने अब सफाई देकर विवाद शान्त करने की कोशिश जरूर की है कि उन्होंने अपने तरफ से कोई आरोप नही लगाये हैं. उन्‍होंने कहा है कि यह एस बी सिन्हा के बयान पर आधारित था अब सीबीआई 22 नवंबर को क्या एफेडेविट देती है इसका सबको इंतजार है.

ये अजीब बात है कि जो याचिकाकर्ता लालू प्रसाद यादव को जेल भेजवाने के लिए बेचैन थे वो आज लालू यादव के जेल जाने के बाद एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप में जुट गए हैं.

 

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