बिहार के गया जिले में बैंककर्मियों ने लोन रिकवरी के लिए गांधीगिरी का रास्ता अख्तियार किया है. ऋण लिए हुए कर्जदारों को नोटिस से लेकर लीगल नोटिस भेजकर थक चुके बैंक कर्मी अब गांधीगिरी करने लगे हैं. बैंक कर्मी अब ऋण की वसूली के लिए कर्जदारों के घर के बाहर धरना पर बैठकर ऋण का भुगतान करने की गुहार लगा रहे हैं.
कर्जदारों से ऋण वसूली का ये अनोखा तरीका मध्य बिहार ग्रामीण बैंक की गया शाखा (एपी कॉलोनी) ने अपनाया है. कर्जदारों के घर के बाहर मध्य बिहार ग्रामीण बैंक के मैनेजर से लेकर लोन रिकवरी अधिकारी तक धरना पर बैठे गए हैं. बुधवार को शहर के टिल्हा महावीर स्थान के पास बैंक के कर्जदार राजेश कुमार के घर के बाहर मध्य बिहार ग्रामीण बैंक के कर्मियों और अधिकारियों ने धरना दिया. बैंक कर्मी गांधी के रास्ते को अपनाते हुए शांतिपूर्ण तरीके से धरना के जरिए सांकेतिक रूप से लोन की राशि का भुगतान करने की अपील कर्जदार राजेश कुमार से करते रहे.
मध्य बिहार ग्रामीण बैंक, गया शाखा के मैनेजर राजेश कुमार ने बताया कि 2010 में राजेश कुमार ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत बैंक से कर्ज लिया था. राजेश कुमार के ऊपर बैंक का सात लाख 35 हजार बकाया है. नोटिस और लीगल नोटिस देने के बावजूद राजेश ने कर्ज की राशि बैंक को वापस नहीं किया है.
राजेश कुमार का कहना है कि मिल चलाने के लिए बैंक से कर्ज लिया था. लेकिन मिल नहीं चल सका और दिवालिया हो गया। इस कारण कर्ज की राशि नहीं लौटा सके. बैंक मैनेजर ने बताया कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत 151 लोगों ने लोन लिया था। किसी तरह 117 लोगों ने समझौता या अन्य तरीके से कर्ज की राशि वापस कर दी लेकिन 34 लोगों पर अभी भी करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए बकाया है। सभी को लीगल नोटिस दी जा चुकी है.
इसके बावजूद इनलोगों द्वारा ऋण की राशि का भुगतान बैंक को नहीं किया जा रहा है. उन्हौने कहा कि आगे की कार्रवाई हो इससे पहले सोचा की धरना के जरिए शांतिपूर्ण तरीके से लोन की राशि का अदा करने की गुहार कर्जदारों से लगा ली जाए.