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तमिलनाडु में बिहार के मजदूरों को मारने-पीटने की अफवाह पर ताबड़तोड़ एक्शन, एक और आरोपी अरेस्ट

गोपालगंज एसपी ने बताया कि रविन्द्र महतो की मौत ट्रेन से कटकर कर्नाटक में हो गई थी, जबकि माधोपुर गांव के तमिलनाडु के संबंध में अफवाह फैला रहे थे. इसी आरोप में एक की गिरफ्तारी की गई है. जबकि दो लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है.

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पुलिस गिरफ्त में आरोपी.
पुलिस गिरफ्त में आरोपी.

तमिलनाडु मामले में अफवाह फैलानेवाले एक युवक को गोपालगंज पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. वहीं दो अन्य लोगों को हिरासत में लेकर पुलिस पूछताछ कर रही है. गिरफ्तार युवक का नाम उमेश महतो है, जो माधोपुर ओपी के माधोपुर गांव का रहनेवाला है.

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एसपी स्वर्ण प्रभात ने कार्रवाई की पुष्टि करते हुए बताया, माधोपुर गांव के रहनेवाले रविंद्र महतो की 7 मार्च को बेंगलुरु में ट्रेन से कटकर मौत हो गई थी. जबकि ऐसी अफवाह फैलाई जा रही थी कि मजदूर रविंद्र की तमिलनाडु में हत्या की गई है.

एसपी ने जांच के बाद इस पूरे मामले को अफवाह बताया और कर्नाटक के बेंगलुरु में ट्रेन से कटकर मौत होने की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि अफवाह फैलाने वाले अन्य लोगों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई जारी है. वहीं, मजदूर की मौत के बाद से परिजनों में कोहराम मचा है. 

मृतक की पत्नी शिवकली देवी का कहना है कि फोन पर उमेश महतो ने मोबाइल पर बताया था, ''पतोहू रोना नहीं. तेरे पति को काट दिया गया है. हम लोग भाग रहे हैं.'' पीड़िता ने बताया कि उसी समय से मैं अपने चार बच्चों के साथ परेशान हूं. हमारी मदद करनेवाला कोई नहीं है. 

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जमुई में भी हो चुकी एक गिरफ्तारी 

गौरतलब है कि तमिलनाडु में बिहार के रहने वाले मजदूरों की पिटाई का एक वीडियो वायरल हुए थे. इन वीडियोज को लेकर बिहार में सियासत गर्मा गई थी. विपक्षी दल बीजेपी ने भी बिहार विधानसभा में ये मुद्दा उठाया था तो वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से बात की थी. बाद में तमिलनाडु के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने वायरल वीडियो को फेक बताया था.  

अब इसे लेकर बिहार पुलिस एक्शन में आ गई है. बिहार पुलिस ने बीते दिनों ही इस मामले में जमुई से एक व्यक्ति को सोशल मीडिया पर यह वीडियो पोस्ट करने के आरोप में पकड़ा है.  

बता दें कि तमिलनाडु में प्रवासी श्रमिकों पर हमलों के आरोपों की जांच के लिए बिहार सरकार ने अधिकारियों की चार सदस्यीय टीम बनाई थी. इस टीम ने तमिलनाडु से लौटने के बाद अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सौंप दी थी.

फर्जी वीडियो प्रसारित किए गए 

मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान के अनुसार, राज्य के ग्रामीण विकास सचिव डी. बालमुरुगन की अध्यक्षता वाली टीम ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे तमिलनाडु में प्रवासियों की पिटाई के वीडियो फर्जी थे. कुल सात ऐसे फर्जी वीडियो थे जो सोशल मीडिया पर जारी किए गए थे.

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CMO ने बयान में कहा,  जांच टीम के सदस्यों ने चेन्नई, तिरुपुर और कोयंबटूर का दौरा किया. 4 से 7 मार्च तक दक्षिणी राज्य में रहने के दौरान बिहार के तमाम औद्योगिक संघों, श्रमिक संघों और उद्यमियों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की. प्रतिनिधिमंडल ने दक्षिणी राज्य में अपने प्रवास के दौरान राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से भी मुलाकात की.

बयान में कहा गया है कि अब लोगों को पता चल गया है कि प्रसारित किए गए वीडियो फर्जी थे. फर्जी वीडियो सामने आने के बाद टीम के सदस्यों ने राज्य सरकार की कार्रवाई पर संतोष व्यक्त किया. उधर, मामला बढ़ने पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन भी राज्य में प्रवासी श्रमिकों से मिले और उन्हें आश्वासन दिया कि उन्हें कोई खतरा नहीं है.

 

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