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एकता की मिसाल: जाति-धर्म की तोड़ी दीवार, हिंदू और मुस्लिमों ने मिलकर खेली फूलों की होली

सुपौल में हजारों की संख्या में हिंदू, मुस्लिम जमा हुए और सबने मिलकर होली खेली. होली मिलन के इस खास कार्यक्रम में हर किसी ने एक दूसरे पर फूल फेंके और गुलाल लगाया. इस कार्यक्रम को लेकर उत्साह इस कदर था कि ढोल- मजीरे के थाप पर झूमते-गाते हुए लोग कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे.

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सुपौल में हजारों की संख्या में हिंदू और मुस्लिम ने फूलों की होली खेली
सुपौल में हजारों की संख्या में हिंदू और मुस्लिम ने फूलों की होली खेली
स्टोरी हाइलाइट्स
  • होली मिलन में उमड़ा बुजुर्गों का सैलाब
  • फूलों के गुलाल से दमक उठा सबका चेहरा

बिहार के सुपौल में सामाजिक सौहार्द का अनोखा होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया. जहां पर हजारों की संख्या में हिंदू और मुस्लिम जुड़े और एक दूसरे पर फूल फेंकर होली मनाई.  हजारों की संख्या में महिला, पुरुष और बच्चों ने इस खास मौके पर होली के गीत गाए.  इस कार्यक्रम को लेकर बुजुर्गों में उत्साह इस कदर था कि बुजुर्ग ढोल- मजीरे के थाप पर झूमते-गाते हुए कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे. सुपौल में हर साल इसका आयोजन किया जाता है, इसे बुजुर्गों की होली कहा जाता है.  

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अक्षयवट बुजुर्ग महासंघ के अध्यक्ष सीताराम मंडल की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ नवकान्त झा, तनु प्रिया, मुरारी, त्रिपुरारी के स्वागत गान से किया गया.  होली मिलन में इलाके दर्जनों बुजुर्ग जन प्रतिनिधि भी शामिल हुए. झंझारपुर व सुपौल जिला परियोजना पदाधिकारी ज्योतिष कुमार झा, राकेश क्षत्रिय ने बुजुर्गों के साथ फूलों की होली खेली.

इस मौके पर संस्था के राष्ट्रीय निदेशक गिरीश चन्द्र मिश्र ने बुजुर्गों को संगठित होकर आगे बढ़ने की अपील की.  उन्होंने कहा कि अपनी जीवटता, हुनर व काबिलीयत का डंका बजाकर कोशी के ये बुजुर्ग केंद्र एवं राज्य सरकार तक अपनी उपलब्धि बता चुके हैं. 

बुजुर्गों का कहना है कि 10  सालों  अपने रुपये जोड़कर हर साल ये समारोह करते आए हैं. पूरे साल सभी बुजुर्ग अपना पैसा जोड़ते हैं.  कोरोना की वजह से पिछले होली मिलन कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया था. लेकिन इस होली मिलन समारोह में इलाके के सैकड़ों बुजुर्ग मुस्लिम महिला पुरुष शामिल हुए. 

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