बिहार सरकार को अब 16 अगस्त को पटना हाईकोर्ट को बताना होगा कि आखिर राज्य में काम करने वाले कितने आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं ? बिहार में मौजूदा समय में 209 आईएएस अधिकारी और 219 आईपीएस अधिकारी कार्यरत हैं.
पटना हाईकोर्ट के निर्देश के बाद अब शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने सभी 38 जिलों के डीएम और एसपी को पत्र लिखा है और 4 अगस्त तक जानकारी मांगी है कि आखिर उनके जिले में काम करने वाले आईएएस और आईपीएस अधिकारी समेत राज्य सरकार के क्लास 1 और क्लास 2 की सेवा में कार्यरत कितने अधिकारियों के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं?
13 जुलाई को पटना हाईकोर्ट के जस्टिस अनिल उपाध्याय की एकल बेंच ने बिहार सरकार को निर्देश जारी करते हुए जानकारी मांगी थी कि राज्य में काम करने वाले कितने अधिकारियों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं?
दरअसल, जस्टिस अनिल उपाध्याय ने तकरीबन 500 गेस्ट टीचर जिनको राज्य सरकार ने नौकरी से निकाल दिया था, उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार को यह निर्देश जारी किया.
शिकायतकर्ता की वकील शमा सिन्हा ने कहा, '2018 में बिहार सरकार ने सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए तकरीबन 4200 गेस्ट टीचर के लिए वैकेंसी निकाली थी. जब टीचरों की बहाली चल रही थी तो उसी दौरान तकरीबन 500 गेस्ट टीचर की बहाली को सरकार ने यह कहकर निरस्त कर दिया कि उनकी बहाली एक तय तारीख के बाद हुई है. इस पूरे मामले को लेकर गेस्ट टीचर ने हाईकोर्ट में याचिका डाली. जिसकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि गेस्ट टीचरों की बहाली को निरस्त करना एक अलग मामला है. मगर ऐसा करते समय सरकार ने आखिर क्यों नहीं सोचा कि टीचरों को हटाने से बच्चों के पढ़ाई पर क्या असर होगा?'
इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था कि जब तक सरकारी अधिकारियों के बच्चे सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ेंगे तब तक बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार नहीं आ पाएगा. गौरतलब है कि बिहार में फिलहाल 209 आईएएस और 219 आईपीएस अधिकारी समेत हजारों की संख्या में क्लास 1 और क्लास 2 अधिकारी हैं.
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इस पूरे मामले को लेकर सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड के विधायक डॉ. संजीव कुमार ने आजतक से बातचीत करते हुए सरकारी स्कूलों की दुर्दशा के लिए अधिकारियों पर ठीकरा फोड़ा. उन्होंने सरकारी अधिकारियों को यह भी नसीहत दी कि उन्हें अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाना चाहिए.
जनता दल यूनाइटेड विधायक डॉ संजीव कुमार ने कहा, 'जितने भी आईएएस और आईपीएस अधिकारी हैं उन्हें अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में ही पढ़ाना चाहिए. हमलोग कानून बनाते हैं मगर कानून का निष्पादन अधिकारी करते हैं. जब बड़े बड़े अधिकारियों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ेंगे तभी वह सरकारी स्कूल की कमियों को दूर कर पाएंगे.'
डॉ. संजीव ने कहा कि बिहार में विकास के कार्य में अगर कोई दिक्कत आती है और खासकर शिक्षा के क्षेत्र में तो इसके लिए अधिकारी जिम्मेदार हैं. अगर सरकारी अधिकारी अपने परिवार का इलाज भी सरकारी अस्पतालों में करवाएंगे तो सरकारी अस्पतालों की भी व्यवस्था दुरुस्त होगी.
इसी मुद्दे पर आरजेडी विधायक चेतन आनंद ने राज्य सरकार को घेरा और कहा, 'सवाल यह उठता है कि सरकारी अधिकारी अपने बच्चों को अगर सरकारी स्कूल में नहीं भेज रहे हैं तो क्यों नहीं भेज रहे हैं ? इसके पीछे कोई ना कोई कारण है. कोई भी अधिकारी अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने को तैयार नहीं है क्योंकि सभी को पता है कि सरकारी स्कूलों का क्या हाल है.'
आंकड़ों की बात करें तो बिहार में कुल 72663 सरकारी स्कूल है जिनमें से 42573 प्राथमिक स्कूल, 25587 उच्च प्राथमिक, 2286 माध्यमिक और 2217 उच्च माध्यमिक स्कूल हैं.