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नीतीश के सिर पर फिर सजेगा बिहार का ताज, 22 फरवरी को लेंगे CM पद की शपथ

बिहार की राजनीति में पिछले कुछ दिनों से चल रहे ड्रामा का लगभग पटाक्षेप हो चला है. शुक्रवार शाम नीतीश कुमार ने राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया. खबर है कि नीतीश 22 फरवरी को बिहार के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे. नीतीश ने राज्यपाल से मिलकर 130 विधायकों के समर्थन का दावा किया. जीतनराम मांझी: एक मुख्यमंत्री का अंत, एक मुद्दे का जन्म .

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नीतीश कुमार
नीतीश कुमार

बिहार की राजनीति में पिछले कुछ दिनों से चल रहे ड्रामा का लगभग पटाक्षेप हो चला है. शुक्रवार शाम नीतीश कुमार ने राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया. खबर है कि नीतीश 22 फरवरी को बिहार के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे. नीतीश ने राज्यपाल से मिलकर 130 विधायकों के समर्थन का दावा किया. जीतनराम मांझी: एक मुख्यमंत्री का अंत, एक मुद्दे का जन्म .

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राज्यपाल से मिलने के बाद नीतीश ने पत्रकारों से बातचीत में इस बात की पुष्टि कर दी कि राज्यपाल ने उनके दावे को स्वीकार कर लिया है. नीतीश ने बताया कि उन्हें RJD, CPI और कांग्रेस का समर्थन है जिसकी जानकारी राज्यपाल को दे दी गई है. राज्यपाल ने नीतीश को बहुमत साबित करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है. नीतीश कुमार 22 फरवरी, शाम 5 बजे पटना के गांधी मैदान में बिहार के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे.

इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री पद से जीतनराम मांझी के इस्तीफे के बाद पूर्व सीएम नीतीश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी पर जमकर हमला बोला और आरोप लगाया कि इस पूरे खेल की स्क्रिप्ट बीजेपी ने ही लिखी थी. नीतीश ने मांझी के इस्तीफे के बारे में कहा कि अब उनकी हालत 'खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे' जैसी हो गई है. नीतीश ने बिहार के लोगों से अपने इस्तीफे के लिए माफी मांगी और दोबारा भावना में बहकर ऐसा फैसला न करने का वादा किया.

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पुराने तेवर में लौटे नीतीश...
लंबे समय बाद नीतीश अपने पुराने तेवर में नजर आए. उनके हाव भाव देखकर ऐसा लग रहा था कि उनके सिर से एक बड़ा बोझ उतर गया हो. नीतीश ने जमकर तंज कसे और मुहावरों का भी इस्तेमाल किया.

नीतीश कुमार ने कहा, 'हम लोग पहले से ही मांग कर थे कि बहुमत पर फैसला बजट सत्र से पहले किया जाना चाहिए. राज्यपाल इस बात से सहमत भी दिखे लेकिन बाद में जो कुछ हुआ वो आपने देखा ही. आज जो कुछ हुआ है वह अनोखी घटना थी. संसदीय इतिहास में शायद पहली बार ऐसा हुआ है कि बजट सत्र संबोधित करने से पहले मुख्यमंत्री ने अपना त्यागपत्र सौंप दिया हो. इससे विचित्र स्थिति उत्पन्न हो गई है, सत्र को बुलाया लेकिन सदन में जाने से पहले मैदान छोड़ दिया. कल रात तक हाई वोल्टेज ड्रामा जारी था. लोग मुंह ढककर अंदर बाहर कर रहे थे आपने तो सब कुछ देखा ही.'

'जो करते कम से कम ग्रेसफुली करते'
बीजेपी पर तंज करते हुए नीतीश ने कहा, 'कल बीजेपी मांझी के समर्थन में खुलकर आ गई. मांझी जो चाह रहे थे वो बीजेपी करा रही थी. इस्तीफे के बाद जो बात की गई वो तो और भी हास्यास्पद थी. विधानसभा अध्यक्ष पर दोषारोपण किया गया, आरोपों में कोई दम नहीं था. उन्हें मुकदमे में फंसाने की कोशिश की गई, कोर्ट का सहारा लिया गया. अंत में समझ में आया कि तिकड़म के बावजूद कोई टूटा नहीं. जो किया कम से कम ग्रेसफुली करते. मांझी को पार्टी के फैसले का सम्मान करना चाहिए था. जो हुआ सब बीजेपी के इशारे पर हुआ. सारे अनैतिक काम करवाए गए. दल बदल रोकने के लिए संविधान में व्यवस्था की गई है. दो तिहाई सदस्य चाहिए होते हैं ऐसे ही थोड़े ही सब हो जाता है.'

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बीजेपी के 'जुगाड़' पर नीतीश की झाड़...
नीतीश ने बीजेपी के जुगाड़ शब्द पर जमकर झाड़ लगाई. उन्होंने कहा, 'बीजेपी नेता नंद किशोर यादव ने तो यहां तक कह दिया कि बहुमत का जुगाड़ उन्हें नहीं मांझी को करना था. बहुमत का जुगाड़ फेल हो गया. बिहार में जो कुछ हुआ उससे हर तरफ बीजेपी की छीछालेदर हुई है. उन्होंने सारे अनैतिक काम को प्रमोट किया. पहले दिन से हमें मालूम था कि हमारे पास बहुमत है. 111 में से 99 विधायक हमारे पक्ष में थे.'

पूरे खेल की स्क्रिप्ट बीजेपी ने लिखी
नीतीश ने कहा, 'बीजेपी ने सब जानते हुए खेल को हवा दी. इस पूरे खेल की स्क्रिप्ट बीजेपी ने ही लिखी थी. हमने सरकारी काम में दखल नहीं दिया. मेरी आदत नहीं... जो काम छोड़ दिया वो छोड़ दिया. सबने मांझी को समझाया कि बीजेपी के गेम प्लैन को समझिए.'

भावना के आधार पर दिया था इस्तीफा, माफी मांगता हूं
नीतीश ने कहा, 'लोगों की बात पर मैंने कदम उठाया. मैं मानता हूं कि भावना के आधार पर त्यागपत्र दिया था, जो एक गलती थी. सबकी आवाज सुनकर काम करने के लिए फिर से तैयार हैं. अब हमें माननीय राज्यपाल के निर्णय का इंतजार है. काम करने का अगर मौका मिला तो जनता से एक बात जरूर कहना चाहेंगे कि साढ़े आठ साल जैसे काम किया वैसे ही काम करेंगे. सार्वजनिक तौर पर अपनी गलती स्वीकार करता हूं, बिहारवासियों से माफी मांगता हूं. अच्छा होता कि मांझी पार्टी की इज्जत करते. महादलित शब्द का इजाद मैंने ही किया था. बिहार के अध्यक्ष पर हुए हमले क्या महादलित का अपमान नहीं है? जाति पहचान नहीं होती, मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री होता है और राज्यपाल राज्यपाल. बीजेपी धर्म की राजनीति के बाद अब कास्ट कार्ड खेलना चाहती है. बिहार आगे बढ़ा है और इसे और आगे बढ़ाना है. देश की प्रगति में बिहार काम करेगा.

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'साथी दलों को शुक्रिया'
नीतीश ने कहा, 'कांग्रेस, आरजेडी के विधायक हमारे साथ मजबूती से खड़े हुए थे. उनको शुक्रिया. इसके अलावा ममता बनर्जी और बहन मायावती को भी धन्यवाद. एनडीए में रहते हुए शिवसेना ने जैसे इस मामले में बयान दिए उसके लिए उन्हें भी धन्यवाद.'

'सुशासन हमारा यूएसपी है...'
नीतीश ने कहा, 'सुशासन हमारा यूएसपी है. मैं बिहार की जनता से कहना चाहूंगा कि बीजेपी के चक्कर में ना पड़ें. सत्ता की भूखी है बीजेपी. बिहार को ऊंचाई पर ले जाना है. मीडिया को निष्पक्षता के लिए धन्यवाद देता हूं. अंत में कहना चाहूंगा कि बिहार की जनता को आश्वस्त करता हूं कि गलती जो हुई सो हुई उसको भूल जाइये. आगे कभी भावना में बहकर ऐसा फैसला नहीं लूंगा. मुझे माफ कर दीजिए.'

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