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बिहार: फिर छिड़ी डीएनए पर जंग, इस बार कुशवाहा के निशाने पर नीतीश

बिहार की सियासत में उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार को राजनीतिक मात देने के लिए उन्हीं के दांव का इस्तेमाल कर रहे हैं. 2015 के चुनाव से पहले नीतीश ने डीएनए के मुद्दे को उठाकर सियासी जंग फतह किया था. अब कुशवाहा ने डीएनए के मुद्दे को उठाया है.

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नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा (फोटो-फाइल)
नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा (फोटो-फाइल)

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बिहार की सियासत में एक बार फिर डीएनए को लेकर जंग तेज हो गई है. पहले पीएम नरेंद्र मोदी के एक बयान पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2015 के विधानसभा चुनाव से पहले डीएनए को एक बड़ा मुद्दा बनाया था. अब एक बार फिर नीतीश कुमार से एनडीए के सहयोगी दल आरएलएसपी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने उनका डीएनए पूछा है. आखिर क्या है डीएनए की पूरी लड़ाई की सियासी वजह?

बता दें कि इंडिया टुडे स्टेट ऑफ स्टेट कॉन्क्लेव में शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उपेंद्र कुशवाहा द्वारा उनके बारे में दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने (नीतीश) कहा था कि कहां सवाल- जवाब का स्तर इतना नीचे ले रहे हैं.

नीतीश की इसी बात पर उपेंद्र कुशवाहा के तेवर सख्त हो गए हैं. उन्होंने  नीतीश कुमार पर रविवार को निशाना साधते हुए उनसे पूछा कि प्रदेश की जनता आप से यह जानना चाहती है कि आपके 'डीएनए' की रिपोर्ट क्या है और वह आयी या नहीं आयी. आयी तो क्या रिपोर्ट है, जरा बताने का काम कीजिए?

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उपेंद्र कुशवाहा ने इस बयान को सिर्फ डीएनए तक ही सीमित नहीं रखा बल्कि दलित-ओबीसी से जोड़ा है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जी मुझे 'नीच' कहते हैं. मैं इस मंच से बड़े भाई नीतीश कुमार से पूछना चाहता हूं कि उपेंद्र कुशवाहा इसलिए 'नीच' है, क्योंकि वह दलित-पिछड़ा और गरीब नौजवानों को उच्चतम न्यायालय में जज बनाना चाहता है.

उन्होंने कहा,  'हम पिछड़ा-अति पिछड़े की बातों और उनके हितों को उठाते हैं इसलिए नीच हैं. सामाजिक न्याय की बात करते हैं इसलिए उपेंद्र कुशवाहा नीच है. गरीब घर के बच्चे कैसे पढ़ें, इसके लिए अभियान चलाते है तो क्या उपेंद्र कुशवाहा इसके लिए नीच है?'

हालांकि कुशवाहा जिस तरह से डीएनए के जरिए नीतीश कुमार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं. वैसे ही 2015 के चुनाव पहले मुजफ्फरपुर में परिवर्तन रैली में कहा था कि कुमार का डीएनए कुछ गड़बड़ है. पीएम के इस बयान पर नीतीश कुमार इस बीजेपी और मोदी को घेरने के लिए बिहार अस्मिता के मुद्दे को उठाया था.

बिहार के विधानसभा चुनाव 2015 से से ठीक पहले नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बिहार के लाखों लोगों के बाल बतौर सैंपल भेजे थे. मोदी पर तंज कसते हुए नीतीश ने तब कहा था कि इस सैंपल से वे बिहार के लोगों का डीएनए टेस्ट कर लें.

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नीतीश के इस दांव से बीजेपी बैकफुट पर थी. विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी को नुकसान भी उठाना पड़ा था. हालांकि अब नीतीश के दांव से ही कुशवाहा उन्हें राजनीतिक मात देना चाहते हैं. बिहार में एनडीए के बीच सीट बंटवारे को लेकर कुशवाहा खुश नहीं है. वो 2019 के लोकसभा में पिछले चुनाव की तुलना में कम सीटों पर कतई नहीं मानने को राजी नहीं है.

दरअसल, कुशवाहा के पास दोनों विकल्प खुले हैं. एक ओर तो  वह एनडीए में हैं हीं. वहीं दूसरी ओर तेजस्वी यादव भी खुले तौर पर उन्हें आमंत्रित कर चुके हैं. यही वजह है कि कुशवाहा मौके पर चौका मारने की फिराक में है. इसलिए वह समय की नजाकत को समझते हुए डीएनए के मुद्दे को उठा रहे हैं.

उपेंद्र कुशवाहा कभी नीतीश कुमार की तारीफ करते हैं तो कभी उनके खिलाफ में हल्ला बोलते हैं. यही वजह है कि राजनीतिक पंडित यह कहते हैं कि उपेंद्र कुशवाहा क्लाइमेक्स का इंतजार कर रहे हैं. तभी जाकर वह अपने सियासी पत्ते खोलेंगे.

सूत्रों की मानें तो, फिलहाल अमित शाह और नीतीश कुमार के बीच सहमति ये हुई है कि जेडीयू और बीजेपी 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. वहीं रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी को 4 सीटें दी जाएंगी और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी को 2 सीट मिलेगी. हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में एलजेपी को 7 सीटें मिलीं थीं. वहीं, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को 3 सीटें मिली थी और इन तीनों सीटों पर कुशवाहा की पार्टी ने जीत दर्ज की थी. यही वजह है कि उपेंद्र कुशवाहा एनडीए में रहते हुए लगातार बयान दे रहे हैं.

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