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बिहारः पहली बार चुनावों में लालू नहीं, तेजस्वी की पहली बड़ी परीक्षा

अगर तेजस्वी यादव अपनी दो मौजूदा सीट भी बचा पाते हैं तो उनकी उपलब्धि मानी जाएगी कि लालू प्रसाद यादव की गैर मौजूदगी में अपने किले को बचाए रखने में वह सफल रहे.

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तेजस्वी और लालू यादव
तेजस्वी और लालू यादव

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बिहार में तीन सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं और यह पहली बार है जब इस चुनाव में आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव का चुनावी भाषण सुनने का मौका नहीं मिल रहा है. पिछले तीन दशको में ऐसा कोई चुनाव नहीं होगा जिसमें उन्होंने स्टार प्रचारक के रूप में शिरकत न की हो, लेकिन फिलहाल वह जेल में हैं और आरजेडी की तरफ से उपचुनाव प्रचार की कमान अब तेजस्वी यादव के कंधों पर हैं. ये उनकी पहली परीक्षा है.

बिहार में तीन सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. अररिया संसदीय सीट के अलावा जहानाबाद और भभुआ विधानसभा सींटे हैं. इन तीन सीटों में से अररिया संसदीय सीट और जहानाबाद विधानसभा सीट को आरजेडी को बचानी हैं. इसके अलावा भभुआ सीट पर बीजेपी और कांग्रेस का सीधा मुकाबला है. अगर सभी सीटों पर महागबंधन को सफलता मिलती है तो तेजस्वी यादव का राजनैतिक कद काफी बढ़ जाएगा.

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अगर वे दो अपनी मौजूदा सीट भी बचा पाते हैं तो उनकी उपलब्धि मानी जाएगी कि लालू प्रसाद यादव की गैर मौजूदगी में अपने किले को बचाए रखने में वह सफल रहे.

तेजस्वी ने सबसे ज्यादा वक्त अररिया लोकसभा क्षेत्र में दिया जहां वह तीन दिन प्रचार करते रहे. दो दिन का समय वह जहानाबाद को भी देंगे और भभुआ में एक दिन का. इन चुनाव क्षेत्रों में 11 मार्च को वोट डाले जाएंगे.

बेनामी संपत्ति का लिटमस टेस्ट

वहीं तेजस्वी के विरोधियों ने माना है कि यह उपचुनाव उनके लिए लिटमस टेस्ट है जिस दौरान यह पता चलेगा कि लालू यादव की गैरमौजूदगी में क्या वह पार्टी की नैया पार लगा सकते हैं. मगर जदयू का मानना है कि यह उपचुनाव तेजस्वी यादव के लिए लिटमस टेस्ट है मगर इसमें तेजस्वी यादव को अपने परिवार की बेनामी संपत्ति को बचाना है ना कि चुनाव में जीत दिलाना है.

जदयू प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा है कि लालू प्रसाद यादव ने तेजस्वी यादव को अपने परिवार की बेनामी संपत्ति बचाने का लिटमस टेस्ट दिया है. जदयू ने कहा कि यह वक्त तेजस्वी यादव के बेनामी संपत्ति बचाने से ज्यादा उस बेनामी संपत्ति के वारिसों को बचाने का लिटमस टेस्ट है. संजय सिंह ने कहा कि तेजस्वी यादव को अपनी बहन मीसा भारती, जीजा शैलेश कुमार और भाई तेज प्रताप यादव की बेनामी संपत्ति को बचाने का लिटमस टेस्ट है.

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उपचुनाव से ठीक पहले बिहार में सियासी उठापटक का ट्रेलर देखने को मिला चुका है. चुनाव से ठीक पहले जीतनराम मांझी ने पाला बदलकर महागठबंधन को अपना लिया तो पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी अपने तीन और एमएलसी के साथ कांग्रेस छोड़ जनता दल (यू) में शामिल हो गए. अब बहुत कुछ उपचुनाव के परिणाम पर निर्भर करता है. उसके बाद बिहार के 6 सीटों के लिए राज्यसभा के चुनाव भी होने हैं. जाहिर है कि राजनैतिक उठापटक का दौर अभी चलता रहेगा.

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