शहर में किसी दबंग की दहशत कैसी होती है इसकी बानगी गया शहर में दिख रही है, जहां आदित्य के वो दोस्त जो हत्या के वक्त उसके साथ थे अब वो भूमिगत हो गए हैं. अदालत को दिए इन दोस्तों के 164 के बयान में घटना के वक्त के सभी हालात तो दर्ज हैं, लेकिन इस बात का जिक्र नहीं है कि गोली रॉकी यादव ने ही चलाई. यही बात आने वाले वक्त में रॉकी के लिए ढाल का काम कर सकता है.
वारदात के वक्त साथ थे नासिर
आजतक की टीम ने आदित्य के चार में से दो दोस्तों के घर दस्तक दी, स्विफ्ट कार चला रहे नासिर और आदित्य के बगल में बैठे अंकित के घर जब आजतक की टीम पहुंची तो दोनों के दरवाजे नहीं खुले. नासिर इस घटना का सबसे अहम गवाह है क्योंकि वारदात के वक्त वो स्विफ्ट कार चला रहा था, लेकिन उसके परिवार ने नासिर से मिलाने से साफ मन कर दिया. परिवार के कहा कि वो नसीर को सामने नहीं ला सकते क्योंकि वो अहम गवाह है और वो सिर्फ अदालत में बोलेगा.
अंकित के परिवार ने साधी चुप्पी
इससे पहले नासिर और उसके दोस्तों के 164 के बयान पर भी चर्चा शुरू हो गई है जिसमे रॉकी यादव के हवा में फायर करने और पिस्टल लहराने का तो जिक्र है लेकिन जो गोली आदित्य को लगी उसे किसने चलाया इसका जिक्र नहीं है. यही हाल आदित्य के दूसरे दोस्तों का भी है, आज तक की टीम जब अंकित के घर पहुंची तो उसके परिवार ने भी दरवाजा खोलने से साफ इनकार कर दिया, परिवार की तरफ से ये कहा गया कि अंकित गया शहर से बाहर परीक्षा देने गया है जबकि सच्चाई है कि आदित्य के वो सभी दोस्त जो साथ थे वो शहर में हैं, लेकिन आने वाले वक्त में पड़ने वाले दबाव की वजह से सामने नहीं आ रहे.
आदित्य के परिवार को इंसाफ की आस
इस दहशत के बारे खुलकर सिर्फ आदित्य का परिवार बोल रहा है, जिसने अपना सबकुछ खो दिया है. आदित्य के दोस्तों के सामने नहीं आने पर आदित्य के पिता ने कुछ नहीं कहा लेकिन चचेरे भाई कमल सचदेव ने कहा कि दहशत का अंदाजा आप अभी लगाइए जब बिंदी यादव और मनोरम देवी का परिवार या तो जेल में है या फरार है, जब ये लोग बाहर होंगे और कुछ वक्त बीत जाएगा तब दहशत कैसी होगी?