बिहार में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की मुख्य घटक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में नई समिति को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. बिहार बीजेपी के पुराने अध्यक्ष को वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष द्वारा बनाई गई 200 सदस्यीय समिति नहीं भा रही है. उनके साथ कई अन्य नेता भी इस मामले में सुर मिला रहे हैं.
नई सूची को देखकर अचंभित बीजेपी बिहार इकाई के पूर्व अध्यक्ष और सांसद सी़पी़ ठाकुर ने कहा कि सूची बनाने में उनसे राय नहीं ली गई. वह इसके लिए केन्द्र के पार्टी पदाधिकारियों से मिलेंगे. उन्होंने कहा, 'केन्द्रीय पदाधिकारियों ने नए अध्यक्ष के चुनाव के समय ही कहा था कि नई सूची बनाने के लिए पूर्व वरिष्ठ नेताओं से राय-मशविरा किया जाएगा, लेकिन अफसोस है कि मुझसे कोई राय नहीं ली गई.' उन्होंने दावा किया कि राज्य के वरिष्ठ नेता और बिहार के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री चंद्रमोहन राय, स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे, विधानसभा उपाध्यक्ष अमरेन्द्र प्रताप सिंह से भी कोई राय नहीं ली गई.
उन्होंने स्पष्ट कहा कि नई समिति में अनुभवी कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया गया है. जातीय और क्षेत्रीय संतुलन का भी ध्यान नहीं रखा गया है. ऐसे में किसी चुनावी समर में उतरना मुश्किल होगा.
इधर, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह ने भी कहा कि नई समिति के सहारे बिहार में पार्टी का भविष्य संदिग्ध नजर आता है. परंपरा के मुताबिक नई समिति की सूची प्रदेश अध्यक्ष पार्टी मुख्यालय में जारी करते हैं, लेकिन इस बार परंपरा तोड़ दी गई.
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री भी समिति को लेकर खुश नहीं हैं. उन्होंने कहा कि जो समिति पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की सलाह पर नहीं बनी, वह किसी भी स्थिति में सही नहीं है. आने वाले चुनाव में इस समिति के सहारे नैया पार करना संदिग्ध है. वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह तो नए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के पूर्व ही तय हो गया था कि पार्टी में दो खेमा मजबूती के साथ उभर रहा है. हालांकि उस समय केन्द्रीय नेतृत्व के दखल के बाद सर्वसम्म्ति से अध्यक्ष पद के लिए मंगल पांडेय का चयन कर लिया गया था.