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घायल सिपाही को लेकर दिल्ली में अस्पतालों के चक्कर काटते रहे परिजन, हुई मौत

समुचित इलाज न मिल पाने की वजह से बिहार के एक घायल सिपाही बिपिन कुमार यादव की दिल्ली में मौत हो गई है.

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कांस्टेबल की मौत
कांस्टेबल की मौत

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समुचित इलाज न मिल पाने की वजह से बिहार के एक घायल सिपाही की दिल्ली में मौत हो गई है. भागलपुर जेल से सीतामढ़ी कोर्ट जाते हुए 15 अप्रैल 2017 को एक दुर्घटना में एक नक्सली समेत 7 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी, जिसमें से बिपिन कुमार यादव नाम के एक कांस्टेबल बुरी तरह घायल हो गए थे. बिहार में इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उन्हें एम्स के लिए रेफर कर दिया, लेकिन अफसोस कि उनको नहीं बचाया जा सका.

परिवार का आरोप है कि दिल्ली में इलाज के बजाय उन्हें अस्पतालों के चक्कर काटना पड़ा. हालत बिगड़ता देख परिवार ने उन्हें बालाजी एक्शन अस्पताल में एडमिट कराया. महज 4 दिनों के इलाज में लाखों रुपये खर्च हुए, जब परिवार के पास सारे पैसे खत्म हो गए, तो उन्हें सफदरजंग अस्पताल में एडमिट कराया गया, जहां  उनकी मौत हो गई.

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विपिन कुमार बिहार पुलिस में कांस्टेबल के पद पर तैनात थे. परिवार का आरोप है कि देश के बड़े अस्पतालों में इस जवान का इलाज करने की बजाए, बेड खाली न होने का हवाला देकर इन्हें अस्पतालों के चक्कर काटना पड़ा. 2 जूलाई को घायल अवस्था में उन्हें दिल्ली लाया गया था. परिवार का आरोप है कि एम्स, जी.बी. पंत, आर.एम.एल में जाने पर अलग-अलग बहाना बना कर उन्हें एडमिट नहीं किया गया. आखिर में उन्हें बालाजी एक्शन हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया.

बिहार पुलिस ने भी नहीं की कोई मदद!

परिजनों के अनूसार इस अस्पताल में 4 दिनों के ईलाज में लाखों रुपए खर्च हो गए. परिवार के लोगों ने बिहार पुलिस से मदद के लिए कई बार फोन किए, लेकिन ड्यूटी पर तैनात इस कॉन्स्टेबल की मदद के लिए किसी ने हाथ आगे नहीं बढ़ाया.

कांस्टेबल की मौत के बाद उनके परिवार के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. मृतक कांस्टेबल के चार बच्चे हैं, 3 बेटियां और एक बेटा. सबसे बड़ी बेटी की उम्र 17 साल है. इस बेटी ने कहा कि अब घर की सारी जिम्मेदारी उसी के ऊपर है. कुछ समझ में नहीं आ रहा कि वो इस जिम्मेदारी को कैसे निभाएगी, क्योंकि पिता के रहते बिहार पुलिस ने तो किसी प्रकार की मदद नहीं की. अब आगे क्या होगा, ये भगवान भरोसे ही है.

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हैरानी और शर्म की बात यह है कि ड्यूटी पर हुए एक्सिडेंट का इलाज कराने के लिए कांस्टेबल बिपिन के परिवार को इस तरह से इलाज के लिए अस्पतालों के धक्के खाने पड़े और आखिर में उनकी जान चली गई. साफ है कि घायल कांस्टेबल की मौत का कारण जितना एक्सिडेंट है, उतना ही बिहार पुलिस और दिल्ली के अस्पतालों का लचर रवैया भी.

 

 

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