बिहार में नीतीश की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JUD) के लिए आज का दिन बेहद खास होने वाला है. जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष और एमएलसी उपेंद्र कुशवाहा ने आज से पटना में पार्टी के साथियों की बैठक बुलाई है. कुशवाहा 19 और 20 फरवरी को जेडीयू के साथियों के साथ मंथन करेंगे. दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा पिछले कुछ दिनों से बगावती मूड में नजर आ रहे हैं और उनका सीधा आरोप रहा है कि नीतीश कुमार के चंद करीबी नेताओं की वजह से जेडीयू कमजोर हो रहा है. कुशवाहा ने जिन तमाम सवालों को उठाया है उसकी बाबत वे नीतीश कुमार से बात भी करना चाहते थे. लेकिन जब मुख्यमंत्री ने दिलचस्पी नहीं दिखाई तो आखिरकार उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी नेताओं की बैठक ही बुला डाली.
19 और 20 फरवरी को बैठक
उपेंद्र कुशवाहा ने 19 और 20 फरवरी को पटना के सिन्हा लाइब्रेरी में जेडीयू के साथियों की बैठक बुलाई है. कुशवाहा का दावा है कि लगातार कमजोर हो रही जेडीयू को बचाने के लिए पार्टी के साथी उनकी इस बैठक में शामिल होंगे. माना जा रहा है कि कुशवाहा अब निर्णायक लड़ाई के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं. उपेंद्र कुशवाहा की इस बैठक पर जेडीयू नेतृत्व की भी नजर है और बैठक में शामिल होने वालों के लिए नेतृत्व पहले ही चेतावनी जारी कर चुका है. बीते 5 फरवरी को कुशवाहा ने जेडीयू के साथियों के नाम खुला पत्र लिखा था और बैठक में शामिल होने की अपील की थी.
खास डील और तेजस्वी के नेतृत्व पर सवाल
जेडीयू नेतृत्व की मौजूदा कार्यशैली से नाराज उपेंद्र कुशवाहा लगातार आरजेडी के साथ हुई खास डील को लेकर सवाल पूछ रहे हैं. कुशवाहा का ऐतराज इस बात को लेकर है कि आखिर नीतीश कुमार अपनी पार्टी के किसी नेता को भविष्य में नेतृत्व सौंपे जाने की बजाय राजद नेता और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को आगे करने की बात क्यों कर रहे हैं? कुशवाहा इसे खास डील बताते हुए पूछ रहे हैं कि आखिर बिहार में एनडीए छोड़कर महागठबंधन में जाते वक्त जेडीयू नेतृत्व ने कौन-सी डील की थी?
सत्ता हस्तांतरण को लेकर इशारा
उनका इशारा तेजस्वी को सत्ता हस्तांतरण से लेकर जेडीयू और आरजेडी के विलय तक पर है. आज और कल होने वाली बैठक में इन्हीं सवालों पर चर्चा होनी है. कोई अचरज नहीं होगा अगर कुशवाहा अपनी इस बैठक में कोई ऐसा प्रस्ताव पास कर दें जिसमें पार्टी के किसी नेता को छोड़कर दूसरे दल के किसी नेता का नेतृत्व स्वीकार नहीं करने की बात हो.
नीतीश के लिए कितनी बड़ी चुनौती?
उपेंद्र कुशवाहा ने अबतक नीतीश कुमार पर सीधा हमला नहीं बोला है. उनके निशाने पर नीतीश के साथ रहने वाले नेता ही रहे हैं. कुशवाहा लगातार यह कहते रहे हैं नीतीश कुमार अपनी मर्जी से फैसले नहीं ले रहे हैं बल्कि उनसे जबरन काम कराया जा रहा है. हालांकि ये अलग बात है कि नीतीश कुमार खुद कुशवाहा को चले जाने की नसीहत दे चुके हैं.
उपेंद्र कुशवाहा ने 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश के बुलावे पर ही अपनी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का विलय जेडीयू में किया था, लेकिन अब वे जेडीयू में हिस्सा लिए बगैर जाने को तैयार नहीं हैं. कुशवाहा ने अपनी चुनौती सामने रख दी है और उनके बगावती अंदाज के बावजूद अगर जेडीयू नेतृत्व कोई एक्शन नहीं ले रहा है तो इसके पीछे केवल एक वजह है कि कुशवाहा से होने वाले नुकसान का आकलन नीतीश कर रहे हैं. जेडीयू के अंदर मचे इस सियासी घमसान के बीच उपेंद्र कुशवाहा को नीतीश कब तक बर्दाश्त कर पाते हैं, ये सब दो दिनों के शक्तिप्रदर्शन पर ही निर्भर करेगा.