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विरोधी पार्टियों के अनुच्छेद 370 हटाने के समर्थन में आने से परेशान है जेडीयू

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के केन्द्र सरकार के फैसले पर बीजेपी की घोर विरोधी पार्टियों के भी बिल के समर्थन में आने से जेडीयू की परेशानी बढ़ गई है. क्योंकि उसने एनडीए में रहते हुए बिल पर अपनी असहमति जताई.

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नीतीश कुमार और अमित शाह (फोटो- PTI)
नीतीश कुमार और अमित शाह (फोटो- PTI)

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जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के केन्द्र सरकार के फैसले पर बीजेपी की घोर विरोधी पार्टियों के भी बिल के समर्थन में आने से जेडीयू की परेशानी बढ़ गई है. क्योंकि उसने एनडीए में रहते हुए बिल पर अपनी असहमति जताई. जबकि बीजेपी के सबसे बड़े विरोधी दल आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और तेलगु देशम जैसी पार्टियों ने जम्मू-कश्मीर संशोधन बिल का समर्थन किया.

हालांकि एनडीए में रहते हुए धारा 370, तीन तलाक, समान अचार संहिता और राम मंदिर के मुद्दे पर जेडीयू बीजेपी से अपना स्टैंड 1996 से अलग रखती आई है. लेकिन तब बीजेपी के पास वह ताकत नहीं थी कि अपने बलबूते इन संवेदनशील मामलों पर अपनी मर्जी चला सके. अब समय बदल चुका है.

जेडीयू ने तीन तलाक के मुद्दे पर वोटिंग का बहिष्कार कर अपनी लाज तो बचा ली लेकिन अनुच्छेद 370 के मामले में कई विरोधी पार्टियों के समर्थन में आने से वह परेशान है. और तो और अब पार्टी के अंदर से भी स्टैंड पर पुनर्विचार करने की मांग उठने से पार्टी नेतृत्व सोच में जरूर है.

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क्या कहते हैं केसी त्यागी

जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव के.सी. त्यागी ने बिल पर असहमति जताते हुए कहा कि इस समय तक हमारा स्टैंड यही है, आगे क्या होगा वो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार तय करेंगे.

बिहार में नीतीश कुमार की सरकार बीजेपी के समर्थन से चल रही है, जबकि केन्द्र में जेडीयू नरेंद्र मोदी सरकार के समर्थन में है, अगर वो समर्थन न भी करें तो केन्द्र सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ेगा. लेकिन बिहार में पड़ सकता है.

हालांकि बीजेपी नीतीश कुमार सरकार से समर्थन वापस नहीं लेगी. वह समर्थन वापस लेकर एक झटके में काम खत्म नहीं करना चाहेगी. लेकिन इतना तो तय है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में इसका असर पड़ सकता है. बीजेपी भी जानती है कि नीतीश कुमार का अपना स्टैंड है, उसे वो बदल नहीं सकते हैं. कई बार जेडीयू वोटिंग का बहिष्कार कर अप्रत्यक्ष रूप से बीजेपी को फायदा पहुंचाती रही है.

जानकारों का कहना है कि भले ही जनता दल यू अपने पुराने स्टैंड को कायम रखन के लिए तरह-तरह की जुगत करती रही हो लेकिन अंत में इससे बीजेपी को फायदा ही फायदा मिल रहा है. एक तरफ उसके समर्थन करने वाली विरोधी पार्टियां उसके साथ हो गई हैं तो दूसरी तरफ एनडीए में शामिल शिवसेना और जेडीयू जैसी पार्टियां दबाव में हैं.

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बिहार विधानसभा चुनाव पर क्या पड़ेगा असर?

इस साल महाराष्ट्र में चुनाव है और अगले साल बिहार में, जाहिर है ऐसे मुद्दों का लाभ उठाकर बीजेपी इन सहयोगी दलों पर अपना दबदबा कायम करने में कामयाब भी हो सकती है. ऐसे में जेडीयू के अंदर से भी स्टैंड पर पुनर्विचार करने की बात उठने लगी है.

पार्टी के नेता और पूर्व प्रवक्ता अजय आलोक ने ट्वीट कर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार से धारा 370 के स्टैंड पर पुनर्विचार करने की अपील की है तो एक और विधायक अमरनाथ गामी ने तंज कसते हुए फेसबुक पर लिखा है कि खुद क्षेत्रीय दल हैं, एक दो राज्य में प्रभाव दिखता है फिर भी अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के कारण धारा 370 हटाने का विरोध करते हैं. धन्यवाद के पात्र हैं. अच्छा होता जन भावना देखते हुए देश के सभी दल पक्ष में आते.

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