झारखंड में बीजेपी की हार से बिहार में जेडीयू के चेहरे पर चमक बढ़ गई है. भले ही उसकी भी लुटिया झारखंड में डूब गई हो, लेकिन बीजेपी के कुछ फैसलों पर बिहार के मुख्यमंत्री ने सवाल उठाए थे, वो सही साबित हुए.
रघुवर दास जब 2014 में झारखंड के मुख्यमंत्री बने थे, तब नीतीश कुमार ने इसे सही फैसला नहीं ठहराया था. उस समय नीतीश कुमार बीजेपी के विरोध में थे, लेकिन बीजेपी के फैसले पर तब उन्होंने कहा था कि एक गैर-आदिवासी को झारखंड का मुख्यमंत्री बनाना राजनैतिक रूप से सही फैसला नही हैं.
वहीं, नीतीश कुमार ने 2019 झारखंड चुनाव में सरयू राय का टिकट काटने पर बीजेपी के फैसले पर आश्चर्य जताया था. अब इन फैसले पर सवाल उठाने के साथ-साथ जेडीयू इसलिए भी खुश हो सकता है कि अब बीजेपी अपने फैसले सहयोगी दलों पर थोप नहीं सकती है, साथ ही ढंग से बर्ताव भी करेगी.
राज्य में बड़े भाई की भूमिका में नीतीश
बिहार में नीतीश कुमार ने हमेशा बीजेपी के साथ बड़े भाई की भूमिका निभाई है, लेकिन 2013 में गठबंधन टूटने और उसके बाद बीजेपी के मजबूत होने से अब मामला बराबरी पर आ गया था, लेकिन झारखंड में बीजेपी की हार ने उसे फिर बैकफुट पर जरूर भेज दिया है.
झारखंड हमेशा बीजेपी का गढ रहा है, जब बिहार का बंटवारा नहीं हुआ था, तब बीजेपी को ज्यादातर सीटें झारखंड इलाके से ही मिलती रही हैं. आदिवासियों के बीच उनकी अच्छी पैठ थी, लेकिन एक गैर-आदिवासी को मुख्यमंत्री बनाना बीजेपी के लिए सही साबित नहीं हुआ.
गैर-आदिवासी को बनाया सीएम
हालांकि, 2014 के विधानसभा चुनाव में सभी बड़े आदिवासी नेताओं की हार की वजह से रघुवर दास को झारखंड का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिल गया था, लेकिन जिस राज्य की 28 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हो उस राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर रघुवर दास को आदिवासियों के बीच पैठ बनानी चाहिए, जिसमें वे नाकाम रहे.
इसलिए नीतीश कुमार ने तभी कहा था कि गैर-आदिवासी को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी बड़ी भूल कर रही है, झारखंड राज्य का गठन आदिवासियों के लिए हुआ है, यह राज्य के गठन के भावना के विपरित हैं और वही हुआ. आदिवासी क्षेत्रों में बीजेपी पूरी तरह से नाकाम दिखी.
सरयू राय की जीत
दूसरी ओर जहां मित्र सरयू राय का टिकट काटने पर नीतीश कुमार ने आश्चर्य जताया था, तो अब सरयू राय की जीत से उन्हें जरूर खुशी हुई होगी, वो सिर्फ इसलिए कि उन्होंने न सिर्फ मुख्यमंत्री रघुवर दास को मात दी, बल्कि जिस वजह से सरयू राय का टिकट कटा उसका एक कारण खुद नीतीश कुमार भी थे.
सरयू राय का टिकट काटने के कई आधार बनाए गए थे उसके एक आधार ये भी था कि ये नीतीश कुमार के मित्र हैं और अपनी किताब का विमोचन सरयू राय ने नीतीश कुमार से कराया था.
शराबबंदी का मजाक
वहीं, रघुवर दास ने बिहार में नीतीश कुमार की शराबबंदी का एक तरह से मजाक भी उड़ाया. नीतीश कुमार ने झारखंड से हो रही शराब की तस्करी को रोकने के लिए कई बार रघुवर दास को पत्र भी लिखे लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ, उल्टे बॉर्डर के इलाके में शराब की दुकानें खुलती गईं.
इसलिए नीतीश कुमार को इस बात की भी खुशी होगी कि प्रचार-प्रसार से कुछ नहीं होता है, जमीनी काम जरूरी है उससे उलट रघुवर दास ने अपने काम के प्रचार-प्रसार के लिए पानी की तरह पैसा बहाया था.