राजधानी पटना में दो दिन तक बीजेपी ने सियासी सरगर्मियों को बनाए रखा. बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और देश के गृह मंत्री अमित शाह ने बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भाग लिया. वहीं दूसरी ओर बिहार की सत्ता पर काबिज जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के एक फैसले से जदयू की किरकिरी शुरू हो गई है.
जदयू की ओर से यूपी के तीन नेताओं को राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है. जिसमें सबसे ज्यादा धनंजय सिंह के नाम को लेकर लेकर चर्चा है. जदयू के धनंजय सिंह को राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाने पर विपक्ष लगातार तंज कस रहा है.
जदयू में राष्ट्रीय महासचिव बनाए गए धनंजय सिंह के नाम से कई सारे विवाद जुड़े हैं जिसके चलते बिहार का विपक्ष भी नीतीश की जदयू के फैसले पर घेरने की कोशिश कर रहा है.
धनंजय सिंह दो बार विधायक और एक बार जौनपुर से सांसद रह चुके हैं. उन्होनें पहली बार 2002 में विधायक के रूप में जीत हासिल की. धनंजय सिंह बाहुबली नेता के रूप में पहचान रखते हैं, साथ ही वे राजनीति में बदनाम भी हैं. धनंजय सिंह यूपी चुनाव 2022 में जदयू के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं.
माफिया मर्डर मामले में आया नाम
बाहुबली नेता धनंजय सिंह के माफिया अजीत सिंह के मर्डर मामले में संलिप्त होने की बात सामने आई थी. इससे पूर्व जेल में बंद मुन्ना बजरंगी की हत्या मामले में उनका नाम आ चुका है. एक शिक्षक की हत्या का आरोप भी धनंजय सिंह पर लग चुका है. दागी नेता धनंजय सिंह पर पुलिस ने इनाम भी घोषित किया था.
कहां गए नीतीश कुमार के सिद्धांत ?
बिहार सीएम नीतीश कुमार ने राजद से तेजस्वी यादव पर महज आरोप लगने से नाता तोड़ लिया था. अब जदयू में बाहुबली की एंट्री होने राजद ने जदयू पर हमला बोलते हुए कहा है कि नीतीश कुमार को सिद्धांत की बात कहना अब बेमानी है.