आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ 8 महीने पहले सीबीआई ने बेनामी संपत्ति अर्जित करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी. लेकिन 8 महीने बीतने के बावजूद भी उन्होंने इस मामले में अब तक चार्जशीट दायर नहीं किया है. खुद के खिलाफ इस पूरे मामले को साजिश बताते हुए तेजस्वी ने सवाल पूछा था कि अगर उनके खिलाफ सबूत है तो आखिर सीबीआई ने अब तक कोर्ट में चार्जशीट दायर क्यों नहीं किया है?
तेजस्वी के इन्हीं सवालों का जवाब देते हुए जेडीयू ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि उनके खिलाफ जांच एजेंसियां जो कार्रवाई कर रही थीं, उसमें फिलहाल अल्पविराम लगा है ना कि पूर्ण विराम. जेडीयू नेता संजय सिंह ने ट्वीट कर कहा कि सीबीआई और अन्य जांच एजेंसियों की, जो कार्रवाई तेजस्वी के खिलाफ शुरू हुई थी उसका परिणाम अभी आना बाकी है.
दरअसल 5 अप्रैल को बिहार में शराबबंदी लागू होने की दूसरी वर्षगांठ के मौके पर एक कार्यक्रम के दौरान नीतीश कुमार ने पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को शराबबंदी पर यू-टर्न देने के लिए जमकर लताड़ा था. नीतीश कुमार के इस हमले को लेकर तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को ट्वीट करके कहा था कि मुख्यमंत्री का बयान उनकी झुनझुनाहट, बौखलाहट, चिड़चिड़ाहट, छटपटाहट और कड़वाहट को दिखलाता है.
संजय सिंह ने कहा कि तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के जो मामले चल रहे हैं उसकी वजह से उनमें घबराहट, फड़फड़ाहट, हड़बड़ाहट और बिलबिलाहट साफ देखा जा सकता है.
वहीं, जीतन राम मांझी पर हमला करते हुए जदयू ने कहा कि उन्होंने अपने बेटे को एमएलसी बनाने के लिए आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव जैसे भ्रष्टाचारी नेता का नेतृत्व स्वीकार कर लिया और तेजस्वी यादव को भावी मुख्यमंत्री भी बता दिया. अब उन्होंने अपने स्वर बदल लिए हैं और प्रदेश में दलित मुख्यमंत्री की वकालत कर रहे हैं.
संजय सिंह ने कहा कि जीतन राम मांझी के यू-टर्न से तेजस्वी यादव को घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि वह स्वार्थी नेता हैं और हर चीज के लिए सौदा करते हैं. संजय सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन वो जब उनके ही नहीं हुए तो फिर तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव के क्या होंगे?