बिहार में आरसीपी सिंह को जनता दल (यूनाइटेड) यानी जेडीयू की कमान सौंपे जाने पर रविवार को पार्टी के कार्यकर्ता जश्न मना रहे थे. नए अध्यक्ष के लिए नारे लगा रहे थे. नीतीश कुमार जिंदाबाद भी कह रहे थे. लेकिन कार्यकर्ताओं में जोश वाले इस माहौल के बीच जेडीयू के नेताओं की वो बेचैनी और नाराजगी छुपी नहीं, जो सहयोगी बीजेपी को लेकर हो रही है.
जेडीयू अध्यक्ष बनते ही आरसीपी सिंह ने इशारों-इशारों में बिना नाम लिए बीजेपी को आड़े हाथों लिया. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उन्होंने कहा कि हम किसी को मौका नहीं देते कि कोई हमारी पीठ में छुरा मार सके. दरअसल, जेडीयू अध्यक्ष अरुणाचल प्रदेश में पार्टी के 6 विधायकों के बीजेपी में शामिल होने को लेकर अपनी राय रख रहे थे. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि अरुणाचल में जो हुआ वो सही नहीं था.
एनडीए के लिए अच्छे संकेत नहीं
असल में, नीतीश कुमार ने जेडीयू की कमान अपने करीबी और विश्वासपात्र आरसीपी सिंह को सौंप दी है. आरसीपी सिंह जेडीयू के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए हैं. लेकिन बिहार की राजनीति में इस बदलाव के बीच एनडीए के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं. क्योंकि अरुणाचल प्रदेश में जिस तरह से जेडीयू में तोड़-फोड़ हुई, उसके साइड इफेक्ट्स बिहार की राजनीति में दिखने लगे हैं. जेडीयू इससे नाराज भी है और बहुत बेचैन भी. बिहार में गृह मंत्रालय पर भी विवाद चल रहा है. एलजेपी को लेकर भी उहापोह की स्थिति है.
अरुणाचल प्रदेश में जेडीयू के गिने चुने विधायक टूट गए. सात में से छह विधायक बीजेपी में शामिल हो गए और जेडीयू के पास एक विधायक ही रह गया. इससे बिहार में जेडीयू का टेंशन में आना स्वाभाविक है. इसलिए जेडीयू भी अब बीजेपी पर दबाव बनाने में जुट गई है, और बीजेपी के लव जेहाद जैसे फेवरेट विषय पर अलग लाइन ले ली.
लव जिहाद पर कानून के खिलाफ
जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने बीजेपी के प्रिय विषय लव जिहाद के मसले पर कहा कि देश में घृणा का माहौल पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं बैठक के दौरान पार्टी के नए अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने इशारों-इशारों में बीजेपी को टारगेट किया. उनका निशाना अरुणाचल प्रदेश में जेडीयू छोड़कर बीजेपी में शामिल होने विधायकों को लेकर था. पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि कि हम साजिश नहीं रचते, किसी को धोखा नहीं देते, सहयोगी के प्रति ईमानदार रहते हैं.
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सीएम पद पर नीतीश की दो टूक
बहरहाल, बीजेपी को लेकर जेडीयू की बेचैनी तो उसी दिन से दिख रही है जब से बिहार में विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे, और जेडीयू बीजेपी की जूनियर पार्टी बनकर रह गई थी. बीजेपी का एक खेमा बिहार में नीतीश की जगह, बीजेपी से ही सीएम बनाना चाहता था. रविवार को जेडीयू कार्यकारिणी में नीतीश कुमार ने इस पर भी जवाब दे दिया कि मुख्यमंत्री बनने की उनकी इच्छा नहीं थी. ऐसे बयानों से सीधे संकेत यही हैं कि जेडीयू बीजेपी को लेकर अब कंफर्टेबल नहीं है.
ये बात अलग है कि बीजेपी इस वक्त इन बातों को ज्यादा तवज्जो देना नहीं चाहती और वो नीतीश कुमार का ही गुणगान कर रही है. लेकिन सवाल ये है कि अगर जेडीयू की बेचैनी बढ़ती रही, तो क्या गठबंधन में टकराव का कोई रास्ता आगे बन जाएगा क्योंकि जेडीयू कैंप में नाराजगी तो साफ दिख रही है.