बिहार में जेडीयू सरकार के सामने मुसीबतों के आने का सिलसिला जारी है. छपरा में मिड डे मील से मौत के मामले में जहां सरकार के सामने जवाब की कमी दिख रही है वहीं सरकार के ही एक मंत्री ने वैशाली जिले में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है.
बिहार सरकार में समाज एवं परिवार कल्याण मंत्री परवीन अमानुल्लाह ने आंगनबाड़ी केंद्रों के निरिक्षण के दौरान न केवल बिद्दुपुर CDPO कविता कुमारी के साथ बल्कि कुछ आंगनबाड़ी सेविकाओं के साथ भी दुर्व्यवहार के साथ-साथ अपशब्दों के प्रयोग कर डाले.
इस घटना से आहत CDPO कुछ आंगनबाड़ी सेविकाओं के साथ मिलकर मंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए थाने पहुंच गए. इसके बाद शुरू हुआ ऐसा ड्रामा जिसमें मंत्री की ताकत का अंदाजा तो लगा ही, आम और खास लोगों के बीच कानून भी बेचारा बन गया.
CDPO को तरीबन चार घंटों तक थाने में मंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए बैठना पड़ा. मंत्री के गैर जिम्मेदाराना रवैये के गवाह बने कई आंगनबाड़ी सेविका और उनके पतियों ने भी मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. मंत्री महोदया के खिलाफ एफआईआर दर्ज करना इतना आसान नहीं था.
पहले तो मंत्री के खिलाफ केस दर्ज करने की बात सुनकर थाना प्रभारी भाग खड़े हुए. उसके बाद एक-एक कर सभी पुलिसकर्मी वहां से खिसक गए. थोड़ी ही देर में थाना बिना पुलिस के हो गया. लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर था. इसी बीच लोगों को समझाने आये BDO और DPO को लोगों ने बंधक बना लिया और मंत्री परवीन अमानुल्लाह पर एफआईआर दर्ज करने की मांग करने लगे.
घटना क्रम की जानकारी मिलने के बाद जिले के वरिष्ठ अधिकारियों ने देर रात थाने पर पहुंच मामले को संभालने की कोशिश शुरू कर दी. लेकिन ये पूरा मामला तूल पकड़ता जा रहा है. सुबह होते ही जिले भर के आंगनबाड़ी सेविकाओं के साथ समाज कल्याण विभाग के अधिकारी अपने ही मंत्री के खिलाफ जिलाधिकारी के सामने प्रदर्शन करने पहुंच गए.
सत्ता पक्ष और मंत्री होने के कारण बेशक समाज कल्याण मंत्री के खिलाफ थाने में मामला दर्ज नहीं हो सका लेकिन अपने ही मंत्री के खिलाफ अधिकारिओं, कर्मचारियों और लोगों का ये मिलाजुला गुस्सा सरकार के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं.