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नीतीश-मोदी की तकरार में टूट जाएगा 17 साल पुराना बीजेपी-जेडीयू गठबंधन

जब ये तय हो गया कि मोदी के मुद्दे पर जेडीयू 17 साल पुरानी साथी बीजेपी से अलग हो जाएगी, तो शुरुआत हुई बेइज्जती करने वाले बयानों की. जेडीयू प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने मोर्चा संभाला. कहा कि मोदी सरदार पटेल का नाम ले रहे हैं. मगर पटेल होते तो मोदी को कान पकड़कर सत्ता से बाहर कर देते.

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नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी
नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी

जब ये तय हो गया कि नरेंद्र मोदी के मुद्दे पर नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जेडीयू 17 साल पुरानी साथी बीजेपी से अलग हो जाएगी, तो शुरुआत हुई बेइज्जती करने वाले बयानों की.

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सबसे पहले जेडीयू प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने मोर्चा संभाला और कहा कि नरेंद्र मोदी सरदार पटेल का नाम ले रहे हैं. मगर पटेल होते तो मोदी को कान पकड़कर सत्ता से बाहर कर देते. तिवारी यहीं नहीं रुके. बोले कि ऐसी हरकतों से सरदार पटेल का नाम खराब होता है. ये मोदी पर जेडीयू का खुला हमला है.

इसकी नींव कई दिनों से पड़ रही थी. जमीन पर पहली ईंट सोमवार को दिखी, जब आडवाणी ने इस्तीफा दिया. जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि एनडीए में रहने के बारे में सोचना होगा. इस्तीफा संकट खत्म हुआ, मगर तब तक नीतीश अपनी गणित पूरी कर चुके थे.

मंगलवार देर रात तक चली पार्टी की बैठक में ये तय हो गया कि अब बीजेपी के लिए अलविदा की नमाज पढ़ने का वक्त आ चुका है. इसके बाद बुधवार सुबह से ही जेडीयू नेता हमलावर रुख अपनाने लगे.

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पार्टी नेता और बिहार सरकार के मंत्री नरेंद्र सिंह ने जब यह कहा कि हमें दंगाइयों का साथ मंजूर नहीं, तो माजरा शीशे सा साफ हो गया. बीजेपी प्रवक्ता मुख्तार अब्बास नकवी बस इतना ही बोल पाए कि हमारी स्थिति पर पूरी नजर है. ऐसा लग रहा है कि बीजेपी इस नुकसान का आकलन कर चुकी है और कम अज कम अब किसी हड़बड़ाहट में नहीं दिखना चाहती. उसे सहारा देते हुए पंजाब के डिप्टी सीएम सुखबीर बादल भी बोले हैं कि हमारा गठबंधन अटूट है.

देर सवेर जेडीयू गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर देगी. इसके लिए सभी विधायक पटना पहुंच भी रहे हैं. ऐसे में निगाहें दो निशाने तलाशती हैं. पहला, बिना बीजेपी के बिना सरकार कैसे चलेगी. जवाब बहुत साफ है. निर्दलीय विधायकों के सहारे. दूसरा सवाल, आखिर नीतीश की रणनीति क्या है. बीजेपी से अलग होकर वह क्या हासिल करना चाहते हैं.इस पर लंबे विकल्पों से भरे विश्लेषण की दरकार है.

नीतीश के लिए बहुमत जुटाना मुश्किल नहीं
अगर गठबंधन टूटता है तो बिहार के मौजूदा नीतीश सरकार पर संकट के हल्के बादल छा जाएंगे. दरअसल, 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में वर्तमान में जेडीयू के 118 विधायक हैं और बहुमत सिद्ध करने के लिए 122 के आंकड़े की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में कांग्रेस के 4 विधायक और निर्दलीय एमएलए अहम हो जाते हैं.

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खबर है कि इस बाबत बुधवार शाम तक नीतीश कुमार निर्दलीय विधायकों से मुलाकात भी कर सकते हैं. इस बीच, जेडीयू लगातार निर्दलीय विधायक पवन जयसवाल, विनय बिहारी, सोम प्रकाश सिंह, दुलाल चंद गोस्वामी, दिलीप वर्मा और ज्योति गोस्वामी के संपर्क में हैं.

बिहार विधानसभा की मौजूदा स्थिति (कुल 243 सीट)
1. जेडीयू- 118
2. बीजेपी-91
3. आरजेडी -22
4. कांग्रेस-4
5. लोजपा- 1
6. भाकपा-1
7. निर्दलीय-6

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