नागरिकता संशोधन बिल (CAB) पर जनता दल यूनाइटेड (जदयू) में मतभेद बढ़ता जा रहा है. जदयू ने संसद के दोनों सदनों में नागरिकता बिल का समर्थन किया. हालांकि, पार्टी के इस फैसले का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर विरोध कर रहे हैं.
प्रशांत किशोर ने गुरुवार को भी ट्वीट करते हुए नागरिकता संशोधन बिल (सीएबी) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) का विरोध किया.
We are told that #CAB is bill to grant citizenship and not to take it from anyone. But the truth is together with #NRC, it could turn into a lethal combo in the hands of Government to systematically discriminate and even prosecute people based on religion.#NotGivingUp
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) December 12, 2019
प्रशांत किशोर ने ट्विटर पर लिखा, 'हमें बताया गया कि नागरिकता देने के लिए सिटिजनशीप बिल को लाया गया है. इस बिल का और किसी से नहीं लेना है, लेकिन सच्चाई एनआरसी के साथ है. यह धर्म के आधार पर लोगों से भेदभाव और यहां तक कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सरकार के हाथों में एक घातक कॉम्बो देता है. #NotGivingUp'
इससे पहले बुधवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया. राज्यसभा में पार्टी के सांसद आरसीपी सिंह ने इसका ऐलान किया.
हालांकि इसके थोड़ी देर बाद ही जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने पार्टी के फैसले का विरोध किया. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'इस बिल का समर्थन करने से पहले जेडीयू नेतृत्व को उन लोगों के बारे में सोचना चाहिए था, जिन्होंने 2015 में पार्टी पर भरोसा और विश्वास जताया था.'
कई और नेता भी नाराज
प्रशांत किशोर ही नहीं बल्कि पार्टी के वरिष्ठ नेता पवन कुमार वर्मा ने भी पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार से इस पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया.
While supporting #CAB, the JDU leadership should spare a moment for all those who reposed their faith and trust in it in 2015.
We must not forget that but for the victory of 2015, the party and its managers wouldn’t have been left with much to cut any deal with anyone.
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) December 11, 2019
इससे पहले प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा, नागरिकता संशोधन बिल पर जेडीयू के समर्थन से निराशा हुई. यह बिल धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करने वाला है, जो भेदभाव पूर्ण है. प्रशांत किशोर यहीं नहीं रुके.
पीके ने पार्टी पर निशाना साधते हुए लिखा कि जदयू की ओर से नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन पार्टी के संविधान से भी अलग है, जिसमें पहले ही पन्ने पर धर्मनिरपेक्षता शब्द तीन बार लिखा हुआ है.