जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ सदन में वोट करेगा. एनडीए में शामिल जेडीयू ने पटना में हुई राष्ट्रीय स्तर की एक बैठक में हिस्सा लिया. बैठक में पार्टी के महासचिव के सी त्यागी ने कहा कि कांग्रेस ने इस मुद्दे पर जो रवैया अपनाया है, वह बिल के समर्थन जैसा है. बैठक में यह भी तय हुआ कि पार्टी लक्षद्वीप में चुनाव लड़ेगी. इस बाबत फरवरी के अंतिम सप्ताह में पटना में आयोजित होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में और राज्यों में चुनाव लड़ने पर पार्टी विचार कर सकती है.
जेडीयू ने आगामी लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों के चयन को लेकर एक कमेटी का गठन कर दिया है. इस कमेटी में मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव, ललन सिंह और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह शामिल हैं. यह कमेटी लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों के नाम पर फैसला करेगी.
पार्टी के महासचिव के सी त्यागी ने बताया कि फरवरी के अंतिम सप्ताह में होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में टिकट बंटवारे और अन्य राज्यों में चुनाव लड़ने पर फैसले लिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि लोकसभा सत्र के तुरंत बाद सीटों के चयन की घोषणा कर दी जाएगी जिससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि जेडीयू और बीजेपी किन किन सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. इसके बाद उम्मीदवारों की घोषणा की जाएगी.
त्यागी ने कहा कि 'असम में सिटीजनशिप एक्ट के संशोधन के मामले में लोकसभा में कांग्रेस ने जो रवैया अपनाया, हम उसकी निंदा करते हैं. वाकआउट करना सरकार का समर्थन करने जैसा होता है, इसलिए राज्यसभा में हमारी पार्टी इस बिल का विरोध करेगी.' उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि कांग्रेस पार्टी राज्यसभा में भी वाकआउट करके अप्रत्यक्ष रूप से संशोधित बिल का समर्थन करना चाहती है. त्यागी ने यह भी कहा कि राम मंदिर, धारा 370 और कॉमन सिविल कोड पर हम अपने पुराने स्टैंड पर कायम हैं.
बीते 8 जनवरी को लोकसभा में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 पारित हो गया. सदन में कांग्रेस और तृणमूल के सांसद विधेयक को फिर से संसदीय समिति के पास भेजने की मांग करते रहे. हालांकि सरकार ने इस मांग को ठुकरा दिया. इसके बाद कांग्रेस और तृणमूल के सदस्य सदन से बाहर चले गए. इस विधेयक पर सदन में अच्छी खासी बहस चली. बहस में चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि विधेयक केवल असम तक सीमित नहीं है बल्कि यह सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में भी लागू होगा.
नागरिकता विधेयक में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भाग कर आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है. इसके अलावा हाल में जिनके वैध दस्तावेजों की मियाद समाप्त हुई है, उन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त करने में यह विधेयक सक्षम बनाता है. असम सहित पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में इस विधेयक का घोर विरोध हो रहा है. वहां के लोगों का मानना है कि बाहरी लोगों को भारतीय नागरिकता देने से जनसांख्यिकी पर असर पड़ेगा और संसाधनों पर बोझ बढ़ेगा.