बिहार में कहा जा रहा था कि केंद्र की सत्ता में जेडीयू हिस्सेदार नहीं बनेगी, लेकिन केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए आतुर दिखाई दिए. इसको लेकर नीतीश कुमार को आखिरकार झुकना पड़ा और दावेदारी कर रहे ललन सिंह की जगह आरसीपी सिंह मंत्री बन गए. इसके बाद से बिहार में जेडीयू का एक गुट सियासी शीतयुद्ध का शिकार है. वो अंदर ही अंदर आरसीपी सिंह के लिए हमेशा गड्ढे खोदता रहा है.
फिलहाल राज्यसभा में आरपीसी के दोबारा जाने को लेकर राजनीतिक चर्चाएं गरम हैं. एक तरफ आरसीपी को पूरी उम्मीद है कि उन्हें पार्टी दोबारा भेजेगी. वो अपने बयानों और हावभाव से ऐसा दिखा भी रहे हैं, लेकिन पार्टी के अंदर सबकुछ ठीक-ठाक नहीं है. जेडीयू नेताओं का सोशल मीडिया अकाउंट और सियासी पंडित ऐसा अनुमान लगा रहे हैं. हालांकि जेडीयू ने इस मामले में पूरी तरह चुप्पी साध ली है. राज्यसभा के मुद्दे पर पार्टी के अंदर गुटबाजी तेज है.
भैंस की चमड़ी...अजय आलोक का ट्वीट
जेडीयू के जाने-माने प्रवक्ता अजय आलोक ने आरसीपी सिंह के नीतीश कुमार से आत्मीय संबंध को लेकर एक ट्वीट किया है. जिससे साफ है कि आरसीपी को लेकर पार्टी में क्या चल रहा है. अजय आलोक के ट्वीट में आरजेडी और जेडीयू के एकसाथ आने को लेकर जोरदार हमला बोला गया है. वहीं आरसीपी और नीतीश के संबंधों को लेकर सियासी ट्वीट किया गया है. अजय आलोक ने लिखा, "भैंस की चमड़ी पे पानी नहीं टिकता है, उसी तरह से RJD और JDU कभी साथ टिक नहीं सकते. निश्चित रहे सब ठीक है. माननीय नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में बिहार आगे बढ़ेगा और RCP सिंह जी का अहम योगदान हमेशा रहेगा. शिल्पकार अपनी मूर्ति कभी नहीं तोड़ते हैं और बिहार को बनाया नीतीश कुमार ने."
अब इस ट्वीट में शिल्पकार और मूर्ति को सियासत से जोड़कर देखिए या फिर भैंस को. अजय आलोक ने इशारों-इशारों में बहुत कुछ कह दिया है. ये तय है कि अजय आलोक के इस ट्वीट में ये बताने की कोशिश की गई है. कि नीतीश कुमार और आरसीपी का रिश्ता बहुत गहरा है. उसमें दरार की कोशिश नाकाम होगी.
नीरज की बेवाक प्रतिक्रिया
वहीं जब इस ट्वीट को लेकर जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार से उनकी प्रतिक्रिया पूछी गई, तो बेबाक नीरज ने कुछ और ही कह दिया. नीरज कुमार ने कहा कि कौन क्या बोलता है उसका निजी मामला है. नीरज ने कहा कि नीतीश कुमार बिहार का विकास कर रहे हैं. उनके विरोधियों को इसका एहसास है. वो पार्टी के पक्ष में जो भी फैसला लेंगे. पार्टी के हर नेता को वो मंजूर होगा. मुख्यमंत्री बिहार हित और पार्टी हित की बात करते हैं. ये सब उनपर निर्भर है. उनका फैसला हमेशा सर्वमान्य रहा है. रहेगा. उसके बाद कोई क्या बोलता है. उससे फर्क नहीं पड़ता. कोई ज्यादा सलाह की मुद्रा में आता है, इसका मतलब वो अपनी सीमा भूल रहा है.