नोटबंदी के बाद जेडीयू के द्वारा लगाए गए जमीन खरीद के आरोपों पर जदयू ने भाजपा पर सवालों की बौछार कर दी है. जदयू ने आरोप लगाया था कि भाजपा ने सितंबर और अक्टूबर के महीने में बिहार के कई जिलों में 22 से ज्यादा प्लॉट खरीदे थे.
इस खुलासे के बाद जनता दल यूनाइटेड लगातार आरोप लगा रहे हैं कि बिहार में जमीने खरीद कर भाजपा ने अपने काले धन को सफेद कर लिया है. जदयू का मानना है कि जो जमीनें भाजपा ने खरीदी उसमें काले धन का उपयोग हुआ है और सभी लेन देन कैश में हुआ है.
गौरतलब है कि भाजपा ने माना है कि नोटबंदी से पहले उसने लखीसराय, अरवल, मधुबनी, मधेपुरा, कैमूर और सीतामढ़ी में कई जमीने पार्टी कार्यालय बनाने के लिए खरीदी मगर इस बात से इंकार किया कि इस खरीद बिक्री में कहीं भी काले धन का उपयोग किया गया है. भाजपा लगातार कहती आ रही है कि जमीन की जो कीमत है उसे कैश में नहीं बल्कि चेक से भुगतान किया गया है.
लेकिन भाजपा पर दबाव बनाते हुए जनता दल यूनाइटेड ने सोमवार को इस मामले को लेकर छह सवाल पूछे -
1. जमीन खरीद में विक्रय पत्रों के अनुसार नगद भुगतान किया गया है या नहीं ?
2. क्या भाजपा क्रेता और विक्रेता के बैंक अकाउंट नंबर सार्वजनिक करेगी अगर खरीद बिक्री नकद में नहीं बल्कि चेक से हुआ है तो ?
3. विक्रय पत्र में नगद भुगतान का जिक्र तो किया गया है लेकिन विक्रय मूल्य नहीं दर्शाया गया है. क्या यह काला धन को सफेद करने की साजिश नहीं है ?
4. विक्रय पत्र के अनुसार जमीने शहरी इलाकों में खरीदी गई है लेकिन निबंधन खेती की जमीन के तौर पर कराया गया है. क्या यह फर्जीवाड़ा नहीं है ?
5. क्या भाजपा बताएगी कि एक ही दिन में एक ही प्लॉट की दो अलग-अलग रजिस्ट्री क्यों कराई गई ?
6. अधिकांश जमीन खरीद में क्रेता के रूप में भाजपा के 11, अशोक रोड का पता नाम अंकित है. ऐसे में व्यक्तिगत नाम से खरीदी गई जमीन भाजपा की है या नहीं ?