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लोकसभा चुनाव के साथ ही बिहार विधानसभा चुनाव क्यों कराना चाहती है JDU?

बिहार में विधानसभा का चुनाव 2020 में होने वाला है, वहीं लोकसभा चुनाव 2019 में हैं. ऐसे में बिहार विधानसभा को लगभग डेढ़ साल पहले भंग करना होगा. इसके बाद ही लोकसभा के चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव हो सकेगा. ऐसे में मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल साढ़े तीन साल का ही रह जाएगा. जबकि विपक्ष इसके लिए तैयार नहीं है.

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बिहार के सीएम नीतीश कुमार
बिहार के सीएम नीतीश कुमार

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा और विधानसभा चुनाव को एक साथ कराने की वकालत करते रहे हैं. बिहार में बीजेपी की दोबारा से सहयोगी बनी जेडीयू ने फिर से मोदी के इस मुद्दे पर हां में हां मिलाया है. जेडीयू के बिहार प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा है कि अगर लोकसभा चुनाव के साथ-साथ बिहार विधानसभा का चुनाव हो, तो पार्टी इसके लिए तैयार है.  

दरअसल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काफी पहले से इस बात पर जोर देते रहे हैं कि लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ होना चाहिए ताकि देश में पैसे और संसाधनों की बचत हो सके. नीतीश कुमार ने पूरे देश में एकसाथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की वकालत कुछ साल पहले की थी, तब जेडीयू बीजेपी के साथ थी और अब जब एक बार फिर इस मुद्दे को उठाया गया है, तब भी वो बीजेपी के साथ हैं.

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बिहार में विधानसभा का चुनाव 2020 में होने वाला है, वहीं लोकसभा चुनाव 2019 में हैं. ऐसे में बिहार विधानसभा को लगभग डेढ़ साल पहले भंग करना होगा. इसके बाद ही लोकसभा के चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव हो सकेगा. ऐसे में मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल साढ़े तीन साल का ही रह जाएगा. जबकि विपक्ष इसके लिए तैयार नहीं है.

आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने साफ कहा है कि बीजेपी के दबाव में जेडीयू इस तरह का फैसला लेने को मजबूर है. लोकसभा चुनाव के साथ केवल बिहार के विधानसभा का चुनाव कराने से काम नहीं चलेगा. देश के बाकी राज्यों को भी साथ आना पड़ेगा. इसमें कई ऐसे राज्य हैं, जहां का कार्यकाल दो साल भी नहीं हो पाएगा या उससे भी कम होगा. ऐसे में एक मापदंड बनाए बिना यह संभव नहीं है.

बिहार विधानसभा का चुनाव लोकसभा के साथ कराने में जेडीयू और बीजेपी को फायदा हो सकता है. सबसे बड़ा फायदा सीटों के तालमेल को लेकर है. दूसरा ये कि नीतीश कुमार पर आरजेडी लगातार आरोप लगा रही है कि जनादेश का अपमान कर वो बीजेपी के साथ खड़े हैं. आरजेडी के 80 विधायक हैं, 2005 में सत्ता से बाहर होने के बाद वो अभी सबसे मजबूत स्थिति में है और विपक्ष में है. ऐसे में जितना जल्दी चुनाव हो जाए अच्छा होगा.

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सबसे बड़ा फायदा बीजेपी और जेडीयू सीटों के तालमेल को लेकर हो सकता है. इसमें सीधा फॉर्मूला लोकसभा की ज्यादा सीटें बीजेपी लड़े और विधानसभा में जेडीयू को लड़ने दे. हालांकि 2013 से पहले दोनों चुनावों में जेडीयू बड़े भाई की भूमिका में बिहार में थी, लेकिन 2014 में बीजेपी के मजबूत होने से समीकरण बदलने के आसार दिख रहे हैं.

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