बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बुधवार को विधानसभा में विश्वास मत साबित करेंगे. लेकिन इन सब के बीच सभी की नजरें पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और उनके समर्थकों पर भी टिकी हैं. जेडीयू ने मांझी और उनके समर्थकों को व्हिप जारी कर नोटिस भेज दिया है. इस नोटिस में तमाम बागी विधायकों से कहा गया है कि उन्हें किसी भी सूरत में नीतीश कुमार का समर्थन करना होगा. हालांकि जेडीयू ने सभी 8 बागी विधायकों को पार्टी से निकाल दिया है और जीतन राम मांझी को विधानसभा स्पीकर ने पहले ही असंबद्ध सदस्य घोषित कर चुके हैं. बावजूद इसके पार्टी ने साफ कर दिया कि ये व्हिप सभी पर लागू होगा.
आपको बता दें कि अभी तक मांझी गुट के विधायकों ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. मांझी के साथ खड़े विधायकों के सामने धर्म संकट खड़ा हो गया है कि वो बुधवार को होने वाले विश्वासमत में किसका समर्थन करें. उधर, बीजेपी ने साफ कर दिया है कि वो विश्वासमत को दौरान मत विभाजन के लिए जाएगी. ऐसे में नीतीश विरोधी विधायकों के पास विकल्प सीमित होते जा रहे हैं. संभव है कि नीतीश विरोधी विधायकों को अपनी सदस्यता बचाने के लिए नीतीश के साथ खड़ा होना पड़ सकता है.
बागी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने कहा कि वो चाहते हैं कि नीतीश कुमार के खिलाफ वोट किया जाए, भले ही उनकी सदस्यता क्यों ना चली जाए. दूसरी तरफ नीतीश सरकार में संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने साफ कर दिया है कि जीतन राम मांझी और सभी बागी विधायकों को जेडीयू के व्हिप का पालन करना होगा नहीं तो सदस्यता जाने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा.
बहरहाल, 243 सदस्यों की विधानसभा में से 8 बागियों की सदस्यता पहले ही खत्म हो चुकी है. एक सदस्य की मौत हो चुकी है, वहीं 1 सदस्य के निर्वाचन को अवैध करार दिया गया है. ऐसे में 233 के सदन में नीतीश कुमार को बहुमत साबित करने के लिए 117 का आंकड़ा चाहिए. जिसमें बीजेपी के पास 87, जेडीयू के पास 111, आरजेडी के पास 24, कांग्रेस के पास 5, सीपीआई के पास एक और निर्दलीय दो सदस्य हैं. ऐसे में ज्यादातर आंकड़े नीतीश के पक्ष में है क्योंकि जेडीयू को कांग्रेस, आरजेडी, सीपीआई और निर्दलीय का समर्थन प्राप्त है.