हाल के महीनों में अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहे बिहार के मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी पार्टी आलाकमान की झिड़की के बाद बैकफुट पर आ गए हैं. मंगलवार को जेहानाबाद की एक रैली में मांझी ने खुद को नीतीश कुमार का 'छोटा भाई लक्ष्मण' बताया.
मांझी ने कहा, 'बड़े भाई नीतीश के डेवलपमेंट एजेंडे में मैं हमेशा अपनी भूमिका लक्ष्मण के रूप में देखता हूं.' मुख्यमंत्री बनने के बाद संपर्क यात्रा के कार्यक्रम में नीतीश के साथ मंच साझा करते हुए मांझी ने कहा, 'लोग मेरे और नीतीश जी के बीच अविश्वास पैदा करने में लगे हुए हैं. मैंने हमेशा विकास के एजेंडे को आगे बढ़ाया है. मेरी भूमिका लक्ष्मण की तरह है और उन्हें बड़ा भाई मानता हूं.'
मांझी ने कहा, 'गरीब निर्धन हो सकता है, लेकिन बेईमान नहीं. नीतीश जी ने मांझी पर विश्वास जताया, मैं उन्हें धोखा नहीं दे सकता.' हालांकि इसी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने अपने भाषण पर ध्यान केंद्रित किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. इस बीच बिहार में जेडीयू के सहयोगी आरजेडी और कांग्रेस ने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री को बदलने का मामला जेडीयू का आतंरिक मामला है.
आरजेडी के उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा, 'जब नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दिया और मांझी को मुख्यमंत्री बनाया, तो ये उनका फैसला था. अगर अब वो वापस लौटना चाहते है, तो ये उनका और पार्टी का निर्णय होगा.'
उन्होंने कहा कि आरजेडी राज्य में जेडीयू की सरकार को सपोर्ट करेगी, चाहे कोई भी मुख्यमंत्री हो. वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि अगर मांझी मुख्यमंत्री बने रहते हैं, तो ये जेडीयू का फैसला होगा, लेकिन नीतीश कुमार के आने से बिहार की छवि को चमकाने में और मदद मिलेगी.
गौरतलब है कि मंगलवार को ही जीतनराम मांझी ने पटना में जेडीयू सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश किया. इस मौके पर मांझी ने एससी और एसटी के साथ लड़कियों के लिए मुफ्त माध्यमिक शिक्षा की घोषणा की. जेडीयू सरकार ने बिहार में अपने नौ साल पूरे किए हैं.