तमाम प्रतिक्रियाओं और आलोचनाओं के बावजूद बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के विवादित बोल का सिलसिला जारी है. पटना में शनिवार को आयोजित शूद्र रैली के दौरान भी मांझी के बोल बिगड़ते दिखे. मांझी ने इस दौरान विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस दिन गांधी मैदान में 5 लाख दलित जुट जाएंगे, पेट दर्द करने वालों की अर्थी गंगा में बह जाएगी.
बिहार विधानसभा चुनाव और अपनी क्षमताओं पर उठ रहे सवालों के बीच सीएम मांझी ने दलितों की रैली कर जहां नीतीश कुमार को अपनी ताकत का अहसास करवाया, वहीं रैली के दौरान उन्होंने नीतीश का जमकर गुणगान किया. मांझी ने नीतीश को महापुरुष बताते हुए कहा कि नीतीश के सपने के कारण ही महादलित आयोग साकार हुआ. पटना के मिलर स्कूल मैदान में आंबेडकर जयंती पर दलितों की रैली में मांझी ने नीतीश कुमार को भी बुलाया था. मांझी ने कहा कि दलितों को सत्ता के लिए एकजुट होना होगा और इसके लिए एक बड़ी रैली मार्च में होगी.
मांझी ने नीतीश को देश और दुनिया में सबसे बड़ा नेता बताते हुए कहा, 'नीतीश कुमार ने एक दलित को सत्ता दी. जो बनता है उससे कहीं बड़ा होता है बनाने वाला. ऐसे में नीतीश देश और दुनिया के सबसे बड़े नेता हैं.' मंच से जीतनराम मांझी ने एक बार फिर दलित कार्ड खेला और अपनी आबादी को 22 फीसदी बताते हुए एकजुट होने का आह्वान किया. मांझी ने ऐलान किया कि वह मार्च में पटना के गांधी मैदान में 5 लाख दलितों की सबसे बड़ी रैली करेंगे और तब दलितों की सत्ता पर दावेदारी ठोकी जाएगी.
मंच पर नीतीश और तालियों की गूंज
चुनावी मौसम में जहां एक ओर जेडीयू बीजेपी के खिलाफ 'महागठबंधन' का मंच तैयार कर चुकी है, वहीं शनिवार को मांझी बहाने दलित वोट को साधने की कोशिश भी साफ दिखाई दी. इस दौरान मंच पर नीतीश कुमार के हर बात पर तालियां बजती रही. मांझी ने दलितों के लिए योजना, आंबेडकर और दशरथ मांझी के नाम पर योजनाएं और दलितों के लिए नौकरी का पिटारा खोलने का ऐलान किया.
निशाने पर मोदी सरकार
रैली में अपने पूरे भाषण में मांझी ने मोदी सरकार को निशाने पर लिया और सफाई अभियान को जमकर कोसा. मोदी को 'यार' कहकर संबोधित करते हुए मांझी ने कहा कि हाथ में झाड़ू लेने से कुछ नहीं होगा, दलितों के घर जाकर भोजन करना होगा.
मांझी के साथ ही नीतीश कुमार ने भी इस रैली को संबोधित किया और दलितों के लिए अपने काम को गिनाया. हालांकि, नीतीश के भाषण के दौरान भीड़ से टोका-टोकी भी होती रही. खासकर टोला सेवक अपनी मांग को लेकर हंगामा करते रहे.