अपने विवादित बयानों से हमेशा से चर्चा में बने रहने वाले मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का जीवन भले ही संघर्ष में कटा, लेकिन उनकी कॉलेज लाइफ के दिन वह आज भी नहीं भूले हैं. बचपन में बंधुआ मजदूरी करने वाले मांझी ने खुद अपनी जुबानी बताया कि कॉलेज के दिनों में लड़कियां उनकी ओर आकर्षित थीं. हालांकि, उनकी माली हालत कॉलेज के दिनों में भी ज्यादा अच्छी नहीं है, लेकिन उन दिनों में वह पढ़ाई के साथ इतना कमा लेते कि ठीक से गुजर बसर हो जाए.
एक साक्षात्कार में सीएम मांझी ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि उन दिनों उनके पास एक पाजामा, एक हॉफ शर्ट, एक बनियान और एक लुंगी हुआ करती थी. वह पांच दिन एक ही जोड़ी पाजामा और शर्ट पहना करते थे और रविवार को उन कपड़ों को धोकर सोमवार से फिर पहना करते थे. मांझी ने बताया कि वह कॉलेज के दिनों में भी टायर से बनी 12 आने की चप्पल पहना करते थे.
बिहार के मुख्यमंत्री ने बताया उन्हें कॉलेज में 25 रुपये महीने का वजीफा मिला करता था, जिसे वह अपने पिता को भेज दिया करते थे. वह अपना खर्च चलाने के लिए अपनी ही क्लास की लड़कियों को ट्यूशन दिया करते थे. मांझी ने बताया कि आशा चरन नाम की लड़की थी कॉलेज में पढ़ती थी, जिसके पिता एरिया डीसी थे. सीएम ने कहा, 'वह लड़की हम पर आकर्षित हुई. उसने कहा कि पिता जी आपसे मिलना चाहते है तो हम मिले उनसे. उन्होंने कहा कि तुम अपने नोट्स आशा को दे दिया करो. हम तुम्हें 10-20-50 रुपये दे देंगे. अब इसे लड़की के प्रति आकर्षण कहिए या पैसे का लालच हम उसे नोट्स देने लगे.'
नोट्स से आशा को काफी मदद मिली और उसने सहेलियों को बताया तो उनके घरवालों ने भी अपनी लड़कियों को ट्यूशन पढ़ाने के लिए मांझी के पास भेजा. इस प्रकार से लड़कियों को ट्यूशन पढ़ाकर उस जमाने में मांझी 75 रुपये महीना कमाने लगे थे.