जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के बिहार विधानसभा को भंग करने के कैबिनेट में लाए गए प्रस्ताव को गलत कदम बताया. शनिवार को जेडीयू विधायक दल की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सर्वसम्मति से विधायक दल का नया नेता चुने जाने के बाद शरद ने 130 विधायकों और विधान पाषर्दों के समर्थन का दावा करते हुए मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बिहार विधानसभा को भंग करने के कैबिनेट में लाए गए प्रस्ताव को गलत कदम बताया.
शरद ने मांझी पर ‘थाली में छेद करने’ का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने पार्टी के साथ गलत किया. शरद ने कहा कि मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति को लेकर पिछले तीन दिनों से माथापच्ची चल रही थी और शनिवार सुबह भी वो एक शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत करना चाहते थे. शरद चाहते थे कि इस बैठक में नीतीश और मांझी और दोनों के समर्थक नेता भाग लें.
शरद ने नीतीश के आवास पर मांझी के साथ हुई बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि दो घंटों की वार्ता के बाद मांझी ने कहा था कि वे एक घंटे के बाद बताएंगे. वह अपनी पार्टी को बचाने की और एकजुटता कायम करने की कोशिश में लगे थे, पर उन्होंने क्या किया. अब पार्टी निर्णय लेगी. वह नहीं रूकेगी.
शरद यादव ने मांझी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के बारे में कहा कि वह इसके बारे में अभी कुछ बोलना नहीं चाहते हैं. उन्होंने गुमराह हो गए जदयू नेताओं से पार्टी में वापस लौटने की अपील करते हुए कहा कि पटना से दिल्ली तक संघर्ष और लड़ाई का निर्णय ले लिया गया है और यह उनके अंतिम सांस तक जारी रहेगा.
शरद ने देश पर खतरा बताते हुए कहा कि हमारे में एकजुटता रूपी हथियार है. झगडे़ होते हैं, पर संगठन का आदर किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में आरजेडी और जेडीयू ने हमें समर्थन का भरोसा दिलाया है. इससे पूर्व शरद ने बिहार के 31 मंत्रियों में से 19 का हस्ताक्षरयुक्त पत्र राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और बिहार के राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी को भेजा है जिसमें उनसे मांझी के राज्य विधानसभा भंग करने की सिफारिश को नहीं स्वीकार नहीं करने का आग्रह किया था.