बिहार में पूर्वी चंपारण जिले के चकिया में महात्मा गांधी के जन्मदिवस के 150वें स्मरणोत्सव पर गंडक कॉलोनी में 22 सितंबर से किसान मेले का आयोजन हो रहा है. तीन दिन तक चलने वाले इस कृषि मेले की सफलता के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय ने शुभकामनाएं दी हैं.
केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने भी मेले के आयोजन पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि जिस थीम पर यह मेला आयोजित हो रहा है, वह वाकई तारीफ के लायक है. सिंह ने कहा कि अगर इस मेले से किसान स्वदेशी तकनीक से रूबरू होते हैं, तो निश्चित रूप से यह गांधी जी को याद करने का सबसे अच्छा तरीका होगा.
बात दें कि यह मेला किसानों को बापू की कृषि तकनीक से परिचित करने के मकसद से आयोजित किया जा रहा है. आयोजन समिति के अध्यक्ष अमरेंद्र कुमार अतुल का कहना है कि इस आयोजन के माध्यम से हमारी कोशिश है कि हम गांधी जी के स्वदेशी कृषि तकनीक को किसान तक पहुंचाएं और उन्हें स्वदेशी तकनीक अपनाने के लिए लिए तैयार करें.
अमरेंद्र अतुल ने कहा, 1917 में गांधी जी ने चंपारण को नील की गुलामी से मुक्त करने के लिए आंदोलन की शुरुआत की थी. इसके बाद नील का कलंक तो चंपारण से हमेशा के लिए मिट गया, पर गांधी जी ने जिस स्वदेशी तकनीक और सिद्धांतों की बात की थी, वह आज कहीं दिखाई नहीं दे रहा है. उर्वरकों और रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग से जमीन की उर्वरा शक्ति खत्म होती जा रही है. जलस्तर दिन-ब-दिन घटता ही जा रहा है. पैदावार बढ़ाने के चक्कर में हम बीमारियों की खेती में लग गए हैं और प्रकृतिक आपदाओं को अनचाहा निमंत्रण दे रहे हैं.
आयोजन के महासचिव सरोज सिंह का कहना है कि यह सिर्फ एक किसान मेला भर नहीं है. इस मेले को हम गांधी विचार के समागम के रूप में आयोजित कर रहे हैं. इसलिए राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय (नई दिल्ली) के सहयोग से हम मेले में गांधी जी के जीवन पर आधारित चित्र प्रदर्शनी का भी आयोजन कर रहे हैं. इसमें गांधी जी की चंपारण यात्रा को विशेष तौर पर दिखाया जाएगा. चित्र प्रदर्शनी के साथ गांधी जी के जीवन पर आधारित फिल्मों और डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन भी मेले में किया जाएगा. मेले में प्रवेश बिलकुल निःशुल्क है.