आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अब तक इस बात से हैरान है कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का समर्थन कर दिया.
पटना में पत्रकारों से बातचीत करते हुए लालू ने कहा कि नीतीश कुमार ने ही सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'कांग्रेस मुक्त भारत' के जवाब में 'संघ मुक्त भारत' की बात कही थी, मगर मुझे खुद पता नहीं है कि ऐसा क्या हो गया कि नीतीश ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक व्यक्ति रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति के लिए समर्थन देने का फैसला कर लिया.
देश के अगले राष्ट्रपति के लिए रामनाथ कोविंद का समर्थन करने के नीतीश के फैसले को लालू ने ऐतिहासिक गलती करार दिया. लालू ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने रामनाथ कोविंद का नाम राष्ट्रपति के लिए इसलिए आगे बढ़ाया, ताकि इसका फायदा उन्हें आगामी गुजरात चुनाव में मिल सके. लालू ने कहा कि रामनाथ कोविंद दलित कोरी जाति से हैं जो उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति माना जाता है, मगर गुजरात में इन्हें अन्य पिछड़ी जाति यानी कि ओबीसी का दर्जा मिला हुआ है. लालू ने कहा कि गुजरात में 18 फ़ीसदी जनसंख्या ओबीसी की है और इसी को नजर में रखकर भाजपा ने रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनाने के लिए नाम आगे किया है.
लालू ने भ्रष्टाचार को लेकर भी रामनाथ कोविंद पर इशारों-इशारों में हमला किया और कहा कि आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने इस बात का खुलासा किया है कि भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण जब घूसकांड में फंसे थे तो उस वक्त रामनाथ कोविंद, उनके बचाव गवाह यानी कि डिफेंस विटनेस थे.
नीतीश से करेंगे बात लालू ने कहा की रामनाथ कोविंद और UPA की राष्ट्रपति उम्मीदवार मीरा कुमार में जमीन आसमान का फर्क है और उन्होंने नीतीश से अपील की कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करें और बिहार की बेटी यानी मीरा कुमार का समर्थन करें. लालू ने कहा है कि उनके द्वारा शुक्रवार को दिए जा रहे इफ्तार पार्टी के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जब उनसे मिलने आएंगे तो वह उनसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए बात करेंगे.