भूमि अधिग्रहण बिल पर केंद्र सरकार को घेरने के लिए जहां कांग्रेस और समाजसेवी दल दिल्ली में कमर कस चुके हैं, वहीं तमाम विवादित विधेयकों के खिलाफ आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने रविवार को गांधी मैदान से राजभवन की तरफ मार्च शुरू कर दिया. खास बात यह है कि लालू के इस मार्च में आरजेडी कार्यकर्ता हथियार के साथ नजर आए.
यह मार्च प्रदेश के सीएम नीतीश कुमार के उपवास खत्म होने के ठीक बाद आयोजित किया जा रहा है. बिल को काला कानून बताते हुए नीतीश ने 24 घंटे का उपवास रखा था, जो रविवार सुबह साढ़े 5 बजे खत्म हुआ.
लालू ने नीतीश के उपवास पर प्रतिक्रिया दी, 'नीतीश ने अनशन करके ठीक किया. वो मुख्यमंत्री हैं, सड़क पर दौड़ नहीं सकते. हम खाली हैं इसलिए सड़क पर उतर रहे हैं.' लालू ने कहा कि वे मोदी को भूमि अधिग्रहण बिल के मसले पर झुका कर दम लेंगे. उन्होंने कहा, 'हम मोदी के खिलाफ नहीं हैं, मोदी ने 15 लाख रुपये हर अकाउंट में जमा कराने का जो वादा किया था, उसे पूरा करें. काला धन वापस लाएं.'
बिहार में बीजेपी के खिलाफ जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस ने महागठबंधन बनाया है. दिलचस्प यह है कि नीतीश का उपवास जहां भूमि बिल के खिलाफ था, वहीं लालू भूमि अधिग्रहण बिल के साथ ही महंगाई और कालेधन को मुद्दा बना रहे हैं.
इससे पहले रविवार सुबह करीब 5 बजे नीतीश कुमार ने 24 घंटे बाद उपवास खत्म किया. उनका यह उपवास पटना के पार्टी कार्यालय में था. नीतीश ने शनिवार को इस दौरान कार्यकर्ताओं और पार्टी नेताओं को भी संबोधित किया था. नीतीश ने कहा कि उपवास के बाद अब वह बिल के खिलाफ अन्ना आंदोलन का साथ देने वाले हैं. अपने संबोधन में नीतीश ने कहा, 'सरकार जिस भूमि अधिग्रहण बिल को लाना चाहती है वह किसानों के हित पर प्रहार करने वाला कानून है. हम इस काले कानून का विरोध करते हैं. यह कानून अगर पारित हो भी गया तो हम इसे बिहार में लागू नहीं होने देंगे.'
नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में 76 फीसदी लोग कृषि पर आधारित हैं. अंग्रेजों के समय जो कानून था उसमें सरकार को पूरा अधिकार था. लेकिन 2013 में नया कानून आया जिसने किसानों को अधिकार. अब सरकार फिर से नया कानून लाना चाहती है, जो वोट तो किसानों से लेती है लेकिन काम कॉरपोरेट के लिए करती है. नीतीश ने कहा कि उनका इस काले कानून के खिलाफ अन्ना हजारे के आंदोलन को समर्थन रहेगा और वह उनकी 3 महीने की पदयात्रा को भी समर्थन देंगे.