लोकसभा चुनाव में बीजेपी के हाथों आरजेडी और जेडी(यू) दोनों की करारी हार होने के बाद लालू प्रसाद यादव ने बिहार विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के साथ मिलकर लड़ने के संकेत दिए हैं. लालू ने यह भी कहा कि मंडल का फार्मूला फिर जिंदा होगा.
वैशाली में पार्टी कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण शिविर में लालू ने कहा कि लोकसभा चुनाव में आरजेडी और जेडी (यू) को मिले वोटों का प्रतिशत बीजेपी और एनडीए से ज्यादा था. लालू ने कहा, 'अगर राज्य में हाल में हुए संसदीय चुनाव में आरजेडी और जेडी(यू) दोनों को मिले मतों के हिस्सों को जोड़ दिया जाए तो यह 45 फीसदी तक पहुंच जाएगा जो बीजेपी को हराने के लिए काफी होगा.’
लालू ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश के साथ गठजोड़ का खुला संकेत देते हुए कहा, 'हम साथ बैठेंगे और इस तरह के गठबंधन की व्यवहार्यता के बारे में बात करेंगे.'
मंडल कमीशन का राग छेड़ते हुए राजद मुखिया ने कहा, 'मौजूदा राजनैतिक माहौल में ‘मंडल’ सामाजिक न्याय के सिद्धांत से जुड़ी पार्टियों को एकजुट होना होगा. इसमें बदलाव की जरूरत है और हमें इसके बारे में सोचना है. हमें सबको साथ लेकर चलना होगा.’ उन्होंने कहा, ‘मंडल आयोग एक बम है जिसे राजद कार्यकर्ताओं को जलाने को तैयार रहना चाहिए.’
गौरतलब है कि बिहार में 90 के दशक में सरकारी नौकरियों में ओबीसी के लिए आरक्षण की सिफारिश करने वाले मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू करने के बाद राजनीति तेजी से बदली थी. मंडल समर्थक ताकतों ने तब से कांग्रेस को राज्य में सत्ता से बेदखल कर रखा है.
लालू प्रसाद की अगुवाई में 1989 में जनता दल बिहार में सत्ता में आया और जनता दल से अलग होकर बनी लालू प्रसाद की अगुवाई वाली आरजेडी का राज्य की सत्ता पर 2005 तक कब्जा रहा. उसके बाद एक अन्य ओबीसी नेता नीतीश कुमार सत्ता पर काबिज हुए. शुरुआत में नीतीश लालू के साथ ही थे लेकिन 1994 में उनसे अलग होकर अपनी अलग पार्टी बनाई थी.