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लालू CBI कोर्ट से बेल नहीं, RJD के लिए अब और मुश्किल होगी सत्ता से लड़ाई

लालू पर आए फैसले के बाद आरजेडी प्रवक्ता मनोज झा ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि लालू के खिलाफ बदले की कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि देश के दलित और पिछड़े नेताओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है, क्योंकि बीजेपी उनसे राजनीतिक मोर्चे पर लड़ने में विफल रही है.

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लालू यादव
लालू यादव

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रांची की सीबीआई अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव को देवघर चारा घोटाला मामले में दोषी करार दिया था और आज कोर्ट ने उन्हें 3.5 साल की सजा सुना दी. साथ ही लालू पर 5 लाख रुपये जुर्माना भी लगाया गया है. लालू को बेल के लिए हाईकोर्ट जाना होगा. बता दें कि सीबीआई कोर्ट की ओर से दोषी करार दिए जाने के बाद से लालू न्यायिक हिरासत में रांची में हैं.

इससे पहले जिस दिन लालू यादव को दोषी करार दिया गया था, उस दिन आरजेडी प्रवक्ता मनोज झा ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि लालू के खिलाफ बदले की कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि देश के दलित और पिछड़े नेताओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है, क्योंकि बीजेपी उनसे राजनीतिक मोर्चे पर लड़ने में विफल रही है.

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लालू यादव के जेल जाने के बाद आरजेडी के भविष्य पर फिर से काले बादल मंडराने लगे हैं. लालू की विरासत को संभालते हुए उनके बेटे तेजस्वी और तेजप्रताप यादव का राजनीतिक सफर पहले ही शुरू हो चुका है, लेकिन लालू के कद तक पहुंचने में उन्हें अभी काफी वक्त लगेगा. बिहार की गठबंधन सरकार में लालू के छोटे बेटे तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम और बड़े बेटे तेजप्रताप यादव स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं.

तैयार हैं लालू के लाल?

तेजस्वी राजनीतिक तौर पर परिपक्व जरूर नजर आते हैं और लगातार ट्वीट और बयानों के जरिए बीजेपी पर निशाना साधते रहते हैं, लेकिन बड़े बेटे तेजस्वी पिछले कुछ दिनों से लगातार अपने बयानों की वजह से विवादों में रहते हैं. लालू के बेटे उनकी राजनीतिक विरासत संभाल चुके हैं और आरजेडी के तमाम राजनीतिक आंदोलनों की अगुवाई करते भी देखे गए हैं.

लालू के जेल जाने के बाद अब उनके बेटे के पास एक भावनात्मक हथियार भी है. बिहार में लालू की छवि पिछड़ों के नेता के रूप में उभरी है. ऐसे में पिता लालू के जेल जाने पर वह उनके नाम अपनी और पार्टी की राजनीति चलाकर भी उनके बेटे आरजेडी का भविष्य तय कर सकते हैं.

बिहार के मौजूदा राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में लालू की बेटों और आरजेडी के लिए राजनीतिक राह आसान नहीं है. वहां महागठबंन के टूटने के बाद बीजेपी-जेडीयू गठबंधन की सरकार है. विपक्ष में आरजेडी की स्थिति अच्छी जरूर है लेकिन सत्ता की लड़ाई और वह भी लालू जैसे कद्दावर नेता के बगैर, यह उनके दोनों बेटे और आरजेडी के लिए मुश्किल जरूर होने वाला है.

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ये है पूरा मामला

साल 1990 से 1994 के बीच देवघर कोषागार से पशु चारे के नाम पर अवैध ढंग से 89 लाख, 27 हजार रुपये निकालने का आरोप है. इस दौरान लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे. हालांकि, ये पूरा चारा घोटाला 950 करोड़ रुपये का है, जिनमें से एक देवघर कोषागार से जुड़ा केस है. इस मामले में कुल 38 लोग आरोपी थे जिनके खिलाफ सीबीआई ने 27 अक्टूबर, 1997 को मुकदमा दर्ज किया था. लगभग 20 साल बाद इस मामले में फैसले आया और दोषियों को सजा सुनाई गई. इससे पहले चाईबासा कोषागार से 37 करोड़, 70 लाख रुपये अवैध ढंग से निकालने के चारा घोटाले के एक दूसरे केस में सभी आरोपियों को सजा हो चुकी है.

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