हर बार की तरह इस बार भी साल के पहले दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके मंत्रिमंडल के सभी मंत्रियों ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक कर दिया है. नीतीश और उनके मंत्रियों के संपत्ति का विवरण बिहार सरकार की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है. इसी को लेकर जेडीयू ने अब पूर्व उप-मुख्यमंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव से सवाल किया है कि जब सरकार में बैठे लोगों ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक कर दिया है तो विपक्ष के नेता होने की हैसियत से तेजस्वी यादव अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक क्यों नहीं करते?
जेडीयू के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता संजय सिंह ने सवाल पूछा है कि आखिर सार्वजनिक जीवन में रहने के बावजूद पारदर्शी राजनीति से तेजस्वी यादव क्यों परहेज करते हैं? संजय सिंह ने कहा कि तेजस्वी यादव को अपनी संपत्ति का ब्यौरा देना चाहिए क्योंकि जनता भी यह देखना चाहती है कि जिस नेता पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं उसकी असली कमाई आखिर कितनी है या फिर उनके पास कितना काला धन एकत्रित है?
3 जनवरी को लालू प्रसाद यादव के घोटाले मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद उनकी सजा पर फैसला आना है और इसको देखते हुए जेडीयू ने कहा है कि परिवार न्यायपालिका को हमेशा जातीय चश्मे से देखता है. संजय सिंह ने कहा कि जाति मुक्त न्याय की बात तेजस्वी यादव द्वारा करना लालू की सजा से पहले की बेचैनी को दर्शाता है. संजय सिंह ने कहा कि कल तक लालू और उनके परिवार वाले न्यायपालिका पर भरोसा जताते थे मगर आज वह उसी न्यायपालिका को अंधा कानून बता रहे हैं.
संजय सिंह ने कहा कि जिन दो याचिकाकर्ताओं की शिकायत पर चारा घोटाले की जांच 90 के दशक में शुरू हुई थी उनमें से एक शिवानंद तिवारी हैं जो फिर से वापस आरजेडी में ही आ चुके हैं. संजय सिंह ने कहा कि आरजेडी के नेताओं को यह भूलना नहीं चाहिए कि शिवानंद तिवारी की याचिका पर ही चारा घोटाले की पूरी जांच शुरू की गई थी.
संजय सिंह ने कहा कि शिवानंद तिवारी आज भले ही चारा घोटाले मामले में लालू के खिलाफ याचिका को अपने जीवन की सबसे बड़ी भूल बता रहे हों लेकिन लालू यादव आज उसी की सजा भुगत रहे हैं. संजय सिंह ने कहा कि आरजेडी के दूसरी पीढ़ी के नेताओं को यह सोचना चाहिए कि शिवानंद तिवारी जैसे लोग ही लालू यादव को जेल पहुंचाने के लिए जिम्मेदार हैं.
संजय सिंह ने आरोप लगाया कि पिछले 25 सालों से लालू यादव ने बिहार में जाति और धर्म की बात करके ही अपनी राजनीति की दुकान चलाई है. उनका कहना था कि लालू जैसे लोग बिहार में सामाजिक समरसता देखना पसंद नहीं करते हैं और यह लोग जानते हैं कि अगर बिहार में समाज एक हो गया तो इन की दुकान पूरी तरह से बंद हो जाएगी.