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परिवर्तन रैली के जरिए लालू टटोलेंगे जनाधार

पिछले कई सालों से बिहार की सत्ता से दूर रहा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) वर्तमान राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार के खिलाफ भले ही लगातार हमला करता रहा हो, परंतु पहली बार 15 मई को होने वाली परिवर्तन रैली के माध्यम से वह खुलकर सामने आने वाला है.

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पिछले कई सालों से बिहार की सत्ता से दूर रहा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) वर्तमान राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार के खिलाफ भले ही लगातार हमला करता रहा हो, परंतु पहली बार 15 मई को होने वाली परिवर्तन रैली के माध्यम से वह खुलकर सामने आने वाला है.

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इस रैली के माध्यम से राजद जहां अपने जनाधार के ग्राफ को टटोलने का भी प्रयास करेगा, वहीं इस रैली द्वारा कार्यकर्ताओं को नए उत्साह के साथ लोकसभा चुनाव के लिए तैयारी में जुटने का संदेश भी देगा.

ऐसे राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद रैली द्वारा राजनीति करने के लिए प्रारंभ से ही चर्चित रहे हैं. लालू अब तक करीब एक दर्जन रैलियों का आयोजन कर चुके हैं जिसमें गरीब रैली, गरीब रैला, लाठी रैली, तेल पिलावन रैली, चेतावनी रैली जैसी रैलियां खूब चर्चित रही हैं परंतु पुरानी रैलियों और इस परिवर्तन रैली में फर्क है.

राजद द्वारा जब भी रैलियों का आयोजन किया गया है, तब वह सत्ता में रहा है और पहली बार पार्टी विपक्ष में रहकर रैली का आयोजन कर रही है. हालांकि लालू ने परिवर्तन रैली की तैयारी और राज्य के लोगों को रैली में भाग लेने का न्योता देने के बहाने राज्य भर में घूमकर लोगों की नब्ज टटोलने की कोशिश की है. इस दौरान आयोजित आमसभा में जुड़ी भारी भीड़ ने राजद नेताओं को उत्साहित किया है, इसमें कोई दो राय नहीं है.

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उल्लेखनीय है कि दूसरी बार राजग के सत्ता में लौटने के बाद लालू ने काफी दिनों तक मौन रहने का फैसला लिया था. राजद के नेता भी मानते हैं कि विपक्ष में रहने के बाद रैली में भीड़ जुटा पाना आसान काम नहीं है परंतु आज भी पार्टी को अपने कार्यकर्ताओं पर भरोसा है.

जानकार मानते हैं कि लालू रैलियों में जुटी भीड़ को ताकत मानते रहे हैं. इस कारण रैली में भीड़ जुटाने के मामले में पार्टी के नेता कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहेंगे. गर्मी के मौसम में रैली में कितनी भीड़ जुटेगी, यह तो 15 मई को पता चलेगा परंतु इस रैली पर सत्ता पक्ष के लोगों की भी पैनी नजर है.

राजद के सांसद और महासचिव रामकृपाल यादव कहते हैं कि रैली के लिए पूरी तैयारी की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि रैली में भीड़ न जुटे इसके लिए अभी से ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर अधिकारी कार्य करने लगे हैं. राजधानी में लगे पोस्टरों को हटाया जा रहा है. हालांकि वे मानते हैं कि रैली में 10 लाख लोग तो पहुंचेंगे और उस दिन से बिहार सरकार की उल्टी गिनती प्रारंभ हो जाएगी.

इधर, सत्ता पक्ष के लोग रैली को विरासत स्थानांतरण की कवायद कह रहे हैं. जनता दल-युनाइटेड (जदयु) के प्रवक्ता संजय सिंह कहते हैं कि परिवर्तन रैली का नकाब ओढ़कर लालू दरअसल पारिवारिक सता में परिवर्तन का समारोह आयोजित कर रहे हैं. वह कहते हैं कि लालू अपने दोनों पुत्रों को राजनीति में लाने वाले हैं, इसी कारण यह आयोजन किया गया है.

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पहले राजद के नेता एस 1 और एस 2 (साधु यादव और सुभाष यादव) की परिक्रमा करते थे और अब लालू सोची-समझी राजनीति के तहत टी 1 और टी 2 (तेजस्व और तेजप्रताप) को अपना हैसियत और विरासत स्थानांतरित करने जा रहे हैं.

वैसे, राजद के नेता इस रैली के माध्यम से अफसरशाही, दुष्कर्म की घटनाओं में वृद्धि, महंगाई, बेलगाम विधि व्यवस्था, नियोजित और वित्त रहित शिक्षकों को मुद्दा बनाकर वर्तमान सरकार पर हमला करेंगे.

जानकार हालांकि इस रैली को लोकसभा चुनाव के पूर्व राजद का ट्रेलर मानते हुए इसे जनाधार टटोलने की कवायद मान रहे हैं.

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