पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की 'देश बचाओ, बीजेपी भगाओ' रैली में विपक्ष की एकता देखने को मिल रही है. लालू यादव और उनके परिवार के अलावा शरद यादव, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, गुलाम नबी आजाद, सीपीआई नेता डी राजा, कांग्रेस के हनुमंत राव, डीएमके के एलांगोवन, एनसीपी के तारिक अनवर मंच पर मौजूद थे. इस रैली में लालू ने नीतीश कुमार और बीजेपी की केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. इसमें उनका साथ उनके परिवार ने भी खूब दिया. पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजप्रताप और तेजस्वी यादव ने अपने भाषण से मोदी सरकार को सभी मोर्चे पर विफल बताया. हालांकि राबड़ी देवी इस दौरान एक रोल और निभाती नजर आईं. उन्होंने न सिर्फ भाषण से मोदी और नीतीश को आड़े हाथों लिया बल्कि लालू के भाषण के दौरान बीच-बीच में पीछे से बोलकर भाषण सुधारने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
लालू को सही किया
भाषण के दौरान लालू कई बार अपनी लाइन गलत बोलते या भूलते हुए नजर आए थे. हालांकि जब राबड़ी जैसी पत्नी का साथ हो जो ऐसी गलती तुरंत ठीक हो जाती है. ऐसा ही कुछ देखने को मिला गांधी मैदान के 'देश बचाओ, बीजेपी भगाओ' रैली में. इस रैली में भाषण देते हुए जब लालू यादव ने मीरा कुमार के राष्ट्रपति पद की दावेदारी और पीएम नरेंद्र मोदी से हाथ मिलाने पर नीतीश पर निशाना साध रहे थे तो उन्होंने कहा कि यही नीतीश कुमार ने पीएम नरेंद्र मोदी का पत्तल खींचा था और उसी का बदला नरेंद्र मोदी ने लिया है. तब उन्होंने कहा कि नीतीश पूर्णिया में बाढ़ सर्वेक्षण के दौरान चांदी के थाली में 52 भोग लगाकर बैठे थे, लेकिन मोदी ने लात मारकर ठुकरा दिया. इस पर पीछे से राबड़ी ने सुधारा कि 52 नहीं 156 भोग. तब जाकर लालू ने भाषण सुधारते हुए कहा कि हां गुजरात वाला भी भोज था नीतीश चांदी के थाली में 156 भोग लगाकर बैठे थे, लेकिन मोदी ने लात मारकर ठुकरा दिया.
राबड़ी को लालू लाए थे राजनीति में
आपको बता दें राबड़ी देवी जहां आज भाषण कला के लिए जाने जाने वाले लालू यादव के शब्दों को सुधार रही हैं. वहीं एक समय था जब वह राजनीति में नहीं आना चाहती थीं. हालांकि यह लालू ही थे, जिन्होंने राबड़ी देवी को कॉन्फिडेंस देकर उनके राजनैतिक करियर की शुरुआत की. ‘चारा घोटाले’ में गिरफ्तारी तय हो जाने के बाद 1997 में लालू ने मुख्यमन्त्री पद से इस्तीफा दे दिया और अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमन्त्री बना दिया था. बताया जाता है कि लालू प्रसाद यादव अपनी पत्नी राबड़ी देवी की सलाह के बिना कोई काम नहीं करते हैं. कई बार उन्हें राबड़ी देवी की जिद के आगे भी झुकना भी पड़ा है. बिहार की राजनीति में उनके बड़े बेटे तेजप्रताप की एंट्री भी उन्ही के कारण हुई है.
तेजस्वी से जलते थे नीतीश
इससे पहले रैली में संबोधित करते हुए लालू यादव ने कहा कि इस वक्त एनडीए में जो भी बिहार से बड़े नेता हैं वो सभी उन्हीं के प्रोडक्ट्स हैं. नीतीश पर निशाना साधते हुए लालू ने कहा कि उन्हें तो कभी भी नीतीश कुमार पर भरोसा नहीं था, लेकिन सांप्रादायिक ताकतों को रोकने के लिए भारी मन से विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन किया था. नीतीश के इस कदम को लेकर हमें पहले से ही जानकारी थी, कि ये आदमी विश्वास के लायक नहीं है. लालू ने कहा कि बिहार की राजनीति में तेजस्वी यादव के बढ़ते कद से नीतीश कुमार परेशान हो रहे थे. नीतीश अंदर-ही-अंदर जल रहे थे, उनसे देखा नहीं जा रहा था कि उनके आगे का लड़का जनता में लोकप्रिय हो रहा है. नीतीश साजिशन तेजस्वी को कलंकित करने के लिए महागठबंधन से अलग होकर बीजेपी के साथ गए.