बिहार में 10 सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव में इस बार लालू यादव और नीतीश कुमार मुसलमानों से दूरी बनाए हुए हैं लेकिन यह एक रणनीति के तहत है. वे नहीं चाहते कि इस बार भी वोटों का ध्रुवीकरण न हो. एक अंग्रेजी अखबार ने यह खबर दी है.
अखबार के मुताबिक दोनों नेताओं को इस बात का कटु अनुभव रहा है. दोनों की पार्टियों को पिछले चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ा था. इस बात को ध्यान में रखते हुए दोनों नेताओं ने इस मुद्दे से अपने को दूर रखा है. हालत यह रही कि इन दोनों की पार्टियों ने रोजा इफ्तार की जो दावत रखी थी उसमें लालू और नीतीश नहीं पहुंचे.
लालू और नीतीश यह दिखाना चाहते हैं कि वे धर्म के मामले में तटस्थ हैं. उन्होंने अपना अल्पसंख्यक राग अलापना बंद कर दिया है. इस कारण दोनों पार्टियों ने विधानसभा उपचुनाव में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है. इनमें से कई निर्वाचन क्षेत्र ऐसे हैं जहां मुस्लिम आबादी काफी है.
पूर्व सीएम नीतीश कुमार ने नौ साल में पहली बार रोजा इफ्तार की पार्टी से अपने को दूर रखा. मुख्यमंत्री बनने के बाद वह हर साल इफ्तार की दावत देते थे और खुद आते थे लेकिन इस बार गांधी मैदान में वे नहीं आए. पहले तो वह ईद के अवसर पर मुस्लिम मंत्रियों और अफसरों के घर भी जाया करते थे लेकिन इस बार चुपचाप बैठे रहे. इस बार वह मुंबई चले गए थे.
अब यह साफ है कि ये दोनों नेता खुलकर मुस्लिम वोटों की मांग करने की बजाय वोटों को अपने पक्ष में करने के लिए भीतर ही भीतर प्रयास करेंगे.