पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में 27 अगस्त को आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की 'देश बचाओ, भाजपा भगाओ' रैली को लेकर पटना में तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. इस रैली के माध्यम से लालू और उनका परिवार केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ मोर्चबंदी करेंगे. लालू द्वारा बुलाई गई इस रैली में विपक्षी दलों के भी कई नेता शामिल होंगे. हालांकि, कुछ बड़े नेताओं ने अपने आप को इस रैली से अलग कर लिया है और आने में असमर्थता जताई है.
रैली में शामिल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती शामिल नहीं होंगी. कांग्रेस की तरफ से वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और सीपी जोशी इस रैली में शामिल होंगे, वहीं बहुजन समाज पार्टी की तरफ से मायावती के करीबी सतीश मिश्रा इस रैली में शामिल होंगे. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के तरफ से की इस रैली में शिरकत करेंगे. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इस रैली में हिस्सा लेंगी. इसके अलावा सीपीआई के डी राजा और डीएमके के टीकेएस इलानगोवान भी शामिल होंगे.
जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होने के बाद लालू ने यह रैली एक बार फिर से 2019 कि लोकसभा चुनाव से पहले महागठबंधन तैयार करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मायावती की रैली में शामिल नहीं होने से पहले ही महागठबंधन बनाने की कवायद को तगड़ा झटका लगा है.
लालू यादव की रैली में सबकी नजरें जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद शरद यादव को लेकर रहेगी. शरद यादव ने ऐलान कर दिया है कि वह लालू की इस रैली में शामिल होंगे. गौरतलब है कि, महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ सरकार बनाने के नीतीश कुमार के फैसले का लगातार शरद यादव विरोध कर रहे हैं और नीतीश के इस फैसले को 2015 के जनादेश का अपमान भी बता रहे हैं. 19 अगस्त को जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी शरद यादव शामिल नहीं हुए थे और उसी दिन उन्होंने पटना में ही समानांतर एक और 'जन अदालत' नाम से एक कार्यक्रम का आयोजन किया था और ऐलान किया था कि वह महागठबंधन के साथ अभी बने हुए हैं.
शरद यादव ने जिस तरीके से पार्टी के खिलाफ बागी तेवर अपना लिए हैं उससे नीतीश कुमार काफी नाराज हैं और उन्हें पार्टी से निकालने की अटकलें भी तेज हैं लेकिन अब तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. हालांकि, जेडीयू के महासचिव केसी त्यागी ने साफ कर दिया है कि लालू की रैली में शरद यादव अगर शामिल होते हैं तो वह पार्टी में उनका आखरी दिन होगा. इस वजह से सबकी नजरें इस रैली के दौरान शरद यादव पर होगी जिन्होंने लालू की रैली में शिरकत करने का ऐलान कर दिया है.
भाजपा और जेडीयू ने लालू पर आरोप लगाया है कि वह इस रैली का आयोजन अपने और अपने परिवार के बेनामी संपत्ति को बचाने के लिए कर रहे हैं. भाजपा का यह भी कहना है कि एक और जहां राज्य की 20 जिले इस वक्त बाढ़ से आई तबाही का दंश झेल रहे हैं वहीं लालू और उनका परिवार इस विभीषिका से बेफिक्र अपनी करोड़ों की बेनामी संपत्ति को बचाने के लिए रैली का आयोजन कर रहा है.
इस रैली में लालू एक तरफ जहां केंद्र सरकार के खिलाफ हल्ला बोलेंगे और राजनीतिक साजिश के तहत उनके परिवार को बेनामी संपत्ति के मामले में फंसाने का आरोप लगाएंगे वहीं दूसरी ओर भागलपुर के सृजन घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के अलावा कई भाजपा नेताओं की संलिप्तता का मुद्दा भी उठाएंगे. इस रैली के माध्यम से सृजन घोटाले को लेकर एक बार फिर लालू नीतीश और सुशील मोदी का इस्तीफा मांगेंगे.