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तेज प्रताप यादव ने शुरू किया अगरबत्ती का कारोबार, खुद बताई खासियत

तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) ने अगरबत्ती का कारोबार शुरू किया है. उन्होंने अपना कारोबार L-R यानी लालू-राबड़ी राधाकृष्ण नाम से शुरू किया है. उनका कहना है कि एक अगरबत्ती की खुशबू कमरे में 10 दिन तक रहती है.

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तेज प्रताप यादव (फाइल फोटो-PTI)
तेज प्रताप यादव (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • खटाल में शुरू की अगरबत्ती की फैक्ट्री
  • वेस्टेज फूलों से बनाई जाती है अगरबत्ती

लालू यादव (Lalu Yadav) और राबड़ी देवी (Rabri Devi) के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) अनोखे अंदाज के लिए जाने जाते रहे हैं. अब एक बार फिर से तेज प्रताप चर्चा में है और इस बार वो इसलिए चर्चा में हैं क्योंकि उन्होंने अगरबत्ती का कारोबार शुरू किया है. उन्होंने अपना कारोबार L-R यानी लालू-राबड़ी राधाकृष्ण नाम से शुरू किया है. इसमें LR का मतलब Largest Reach है.  

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इस अगरबत्ती की खास बात ये है कि इसमें किसी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया गया है. बल्कि इसे मंदिर में चढ़ने वाले फूल से बनाया गया है. 

तेज प्रताप की मानें तो ऐसी अगरबत्ती उन्होनें मथुरा-वृन्दावन में खरीदी थी. दिल्ली के एक दोस्त की अगरबत्ती फैक्ट्री में बनते देखी तो उससे प्रभावित होकर पटना में आयुर्वेदिक अगरबत्ती बनाने की सोची. इसके लिए उन्होंने अपने पिता के नाम वाले "लालूजी के खटाल" में बनाने की फैक्ट्री लगाई.

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अगरबत्ती की खुशबू 10 दिन तक रहती है

न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, तेज प्रताप का दावा है कि उनकी एक अगरबत्ती को जलाने पर 10 दिन तक उसकी महक कमरे में रहती है. लालू यादव जब रांची जेल में बंद थे तो तेज प्रताप ने ये अगरबत्ती अपने पिता को दी थी. उनका कहना है कि इससे लोगों को रोजगार भी मिलेगा. हालांकि, ये अगरबत्ती थोड़ी महंगी है, लेकिन उनका कहना है कि जल्द ही सस्ती अगरबत्ती का निर्माण भी शुरू होने वाला है, ताकि आम गरीब लोगों तक ये अगरबत्ती पहुंचे. 

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दावा है कि अगरबत्ती बनाने में केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया गया है (फोटो-ANI)

खरीददार कहते हैं कि ऐसी अगरबत्ती खरीदने के लिए दिल्ली, मथुरा, वृन्दावन जाना पड़ता है. ऐसी जगह से लाने में काफी महंगा पड़ता था. यहीं अब मिल रहा है तो फिर महंगा नहीं पड़ेगा. इसे बना रहे लोगों का कहना है कि मंदिर में चढ़ने वाले फूल को लोग फेंक दिया करते थे. अब हम लोग उन फूलों को लाकर उसे सुखाकर और पीसकर अगरबत्ती बनाने का काम कर रहे हैं. गेंदा, गुलाब, गुडहल अलग-अलग तरह के फूल मंदिर में चढ़ते हैं, जिससे अलग-अलग फ्लेवर और सुगंध की अगरबत्ती बनाई जाती है. कारोबार को शुरू करने से पहले वृन्दान से कारीगर लाकर स्थानीय युवकों बनाने की ट्रेनिंग दी गई थी.  

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ऐसे तैयार होती है अगरबत्ती

अगरबत्ती बनाने वाले आशुतोष के अनुसार पहले फूल लाकर उसे सुखाया जाता है, उसमें कई तरह के हर्बल के अलावा गोबर, घी आदि मिलाकर पिसाई करके पावडर बनाया जाता है. गोबर भी लालू खटाल की होती है. हालांकि लॉकडाउन में मंदिर बंद रहने से फूलों का कलेक्शन कम हो गया है फिर भी पहले से जो स्टॉक पड़ा था उसका इस्तेमाल करके अगरबत्ती निर्माण का काम चल रहा है. 

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L-R राधा-कृष्ण अगरबत्ती कंपनी के मैनेजर की मानें तो बिहार में तो इस अगरबत्ती की मांग बढ़ी है. इसके अलावा इंदौर, दिल्ली आदि जगहों से डिमांड का फोन आ रहा है.

 

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