आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव भागलपुर में सरकारी राशि के घोटाले के मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है. उनकी कहा है कि बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को बर्खास्त कर उन्हें जेल भेजा जाए. उन्होंने इस कार्रवाई के लिए नीतीश कुमार को रविवार तक का समय दिया है. हांलाकि उनका यह भी कहना है कि एक करोड़ के इस घोटाले में नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी की समान सहभागिता है क्योंकि इसकी शुरूआत 2005 में हुई थी जब इनकी जोड़ी ने बिहार की कमान संभाल रखी थी.
लालू यादव के निशाने पर फिलहाल सुशील कुमार मोदी हैं क्योंकि उन्होंने ही लालू परिवार पर बेनामी सम्पति का खुलासा कर जेडीयू और आरजेडी के गठबंधन को तुड़वाने का काम किया था. अपने मामले में सीबीआई को तोता कहने वाले लालू प्रसाद यादव को इस मामले में सीबीआई की जांच पर ही भरोसा है. लालू प्रसाद यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में 9 अगस्त को भ्रष्टाचार भारत छोडों का नारा दिया था, ऐसे में अब वह तय करें कि बिहार के भागलपुर में सुशील मोदी के वित्त मंत्री रहते जो इतना बड़ा घोटाला हुआ है उसके बाद उन्हें पद पर रहने का क्या हक है.
लालू यादव ने आरोप लगाया कि चेक बाउंस होने के बाद नीतीश कुमार ने आनन-फानन में भेद खुलने के डर से जांच अपने चेहते अफसरों से कराकर प्रारंभिक रिपोर्ट दे दी. कुछ छोटी -छोटी मछलियों को पकड़ा गया लेकिन बड़ा मछलियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई. सृजन नामक संस्था की महिला मनोरमा देवी के साथ नीतीश कुमार, सुशील मोदी, गिरिराज सिंह, शाहनवाज हुसैन और मनोज तिवारी के अलावा कई बड़े अधिकारियों की तस्वीरें हैं, उन पर क्या कार्रवाई हुई. उन्होंने कहा कि अगर इस घोटाले को नीतीश कुमार का संरक्षण नहीं है तो वह सीबीआई से इसकी जांच कराएं.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव ने कहा कि सुशील मोदी चादर ओढ कर घी पी रहा है. उनका मानना है कि इसमें बीजेपी और जेडीयू के बड़े-बड़े नेता भी शामिल हैं. लालू प्रसाद यादव ने सरकार के वित्त विभाग की नियमावली के नियम 6 का हवाला देते हुए कहा कि इसमें स्पष्ट प्रावधान है कि बगैर वित्त विभाग की सहमति के कोषागार से पीएल एकाउंट अर्थात सरकारी खजाने से निकाली गई राशियों को बैंक में जमा नहीं किया जा सकता है. लालू प्रसाद ने यह भी कहा कि प्राप्त जानकारी के अनुसार 2013 में रिजर्व बैंक ने इसकी जांच के लिए सरकार को लिखा तो उस समय क्यों नहीं कार्रवाई हुई.
लालू ने उठाए यह सवाल
1. जो सृजन के घोटाले के सूत्रधार हैं उन्हें बैंक के रूप में काम करने की अनुमति किस अधिकारी के स्तर पर और किस शर्त पर दी गई, इसकी जांच होनी चाहिए.
2. सूत्र के अनुसार जिलाधिकारियों पर दबाव था कि वह सृजन के बैंक खातों में राशि जमा कराएं.
3. आरबीआई के आदेश के बाद भी जांच क्यों नहीं हुई, अगर हुई तो उसकी रिपोर्ट कहां हैं.
4. रिपोर्ट के मुताबिक सृजन का पैसा दूसरे राज्यों में निवेश हुआ है, ऐसे में राज्य की एजेंसियां जांच कैसे कर पाएंगी.
5. इस घोटाले की राशि से मनी लॉन्ड्रिंग हुई है, इससे क्या इंकार किया जा सकता है.
उधर बिहार के मुख्यसचिव अंजनी कुमार ने कहा है कि अबतक के जांच के मुताबिक कुल 418 करोड़ के गबन का मामला सामने आया है. इसमें जांच चल रही है और 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.