लोक जनशक्ति पार्टी संसदीय दल के नेता पशुपति पारस ने कहा है कि भतीजे चिराग पासवान के खिलाफ वो जिस रास्ते पर चल पड़े हैं उससे पीछे वापस आने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है. संसदीय दल के नेता चुने जाने के बाद बुधवार को पहली बार से पशुपति पारस पटना आए जहां उनका भव्य स्वागत हुआ.
इसी दौरान आजतक से एक्सक्लूसिव बातचीत करते हुए पशुपति पारस ने चिराग पासवान को तानाशाह बताया. उन्होंने कहा कि वह जिस रास्ते पर चल पड़े हैं उससे वापस नहीं होंगे. पशुपति पारस ने कहा “मैं अपने रास्ते से पीछे क्यों हटूंगा ? पार्टी टूट गई थी और दिल भी टूट गया था. मैं दिल और दल को जोड़ने के लिए आगे बढ़ा हूं और पीछे मुड़ने का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता है.”
पशुपति पारस ने कहा कि चिराग पासवान के साथ मतभेद उसी वक्त शुरू हो गया था जब उन्होंने एनडीए से अलग बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया था. पारस ने कहा कि उस दौरान पार्टी के सभी सांसदों और वरिष्ठ नेताओं ने चिराग को ऐसा नहीं करने की नसीहत दी थी मगर उन्होंने तानाशाही रवैया अपनाते हुए अपने मनमर्जी की. पशुपति पारस ने कहा “रामविलास पासवान के जाने के बाद पार्टी में तानाशाही व्यवस्था हो गई. विधानसभा चुनाव में पार्टी के सभी सांसद, नेता और कार्यकर्ता एनडीए के साथ चुनाव लड़ने की सलाह दे रहे थे मगर उन्होंने तानाशाही रवैया अपनाया.”
इसपर भी क्लिक करें- चिराग पासवान बोले- चाचा कहते तो उन्हें बना देता संसदीय दल का नेता, शेर का बेटा हूं, लड़ाई जारी रहेगी
वहीं, दूसरी तरफ लोक जनशक्ति पार्टी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए सूरजभान सिंह ने भी आजतक से बातचीत के दौरान चिराग पासवान को नसीहत दी कि वह चाचा पशुपति पारस को राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में स्वीकार कर लें. लोक जनशक्ति पार्टी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष सूरज भान सिंह ने कहा कि “चिराग के साथ सुलह क्यों नहीं हो सकती है ? पार्टी चिराग की कल भी थी, आज भी है और कल भी रहेगी. चाचा पशुपति पारस ने चिराग के नीचे बहुत काम किया है तो थोड़े दिनों के लिए चिराग को भी चाचा के नीचे काम कर लेना चाहिए. मैं चाहता हूं कि भगवान चिराग को बुद्धि दे क्योंकि उसे समझना चाहिए कि आखिर भविष्य में पार्टी उसे ही चलानी है.”