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चपरासी नहीं सुनता, अफसर की क्या कहें... नीतीश सरकार में मंत्री मदन सहनी ने की इस्तीफे की पेशकश

बिहार के मंत्री मदन सहनी ने अफसरशाही और कथित तानाशाही से तंग आकर इस्तीफे की पेशकश की है. मंत्री का कहना है कि चपरासी तक नहीं सुनता है. उन्होंने कहा कि वे पार्टी नहीं छोड़ने वाले हैं और बने रहेंगे.

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मदन सहनी
मदन सहनी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मंत्री मदन सहनी ने इस्तीफे की पेशकश की
  • 'जब चपरासी नहीं सुनता तो अफसर क्या सुनेगा'
  • बिहार सरकार में समाज कल्याण मंत्री हैं सहनी

बिहार सरकार में मंत्री मदन सहनी (Madan Sahni Resign) ने गुरुवार को अफसरशाही और कथित तानाशाही से तंग आकर इस्तीफे की पेशकश की है. मंत्री का कहना है कि चपरासी तक नहीं सुनता है. उन्होंने कहा कि वे पार्टी नहीं छोड़ने वाले हैं और बने रहेंगे.

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मंत्री मदन साहनी ने इस्तीफे की पेशकश करते हुए कहा, ''जब चपरासी नहीं सुनता तो अफसर की क्या बात करें. जब गरीबों का भला नहीं कर सकते, कुछ सुधार नहीं कर सकते तो फिर मंत्री पद पर रहने का क्या मतलब है? पार्टी में बने रहेंगे और मुख्यमंत्री ने जो पहचान दी है, उसे जिंदगी भर याद रखेंगे.'' मदन सहनी नीतीश सरकार में समाज कल्याण मंत्री हैं.

बता दें कि हाल ही में आरजेडी के तेजस्वी यादव ने कुछ समय बाद नीतीश सरकार के नहीं रहने की बात कही थी. ऐसे में मंत्री मदन सहनी के मंत्रीपद से इस्तीफा देने की पेशकश से नीतीश सरकार पर संकट के बादल जरूर मंडराने लगे हैं. हालांकि, सहनी ने यह साफ किया है कि वे पार्टी नहीं छोड़ेंगे और पार्टी में ही रहेंगे.

मदन सहनी को मिला मांझी का साथ

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वहीं, मदन सहनी के इस्तीफे की पेशकश करने के बाद सरकार में शामिल जीतन राम मांझी का साथ मिला है. 'हम' के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने भी माना है कि बिहार सरकार के अधिकारी मंत्रियों और विधायकों की नहीं सुनते. मांझी ने कहा कि उन्होंने यह मुद्दा पहले भी बीजेपी और जेडीयू नेताओं के सामने उठाया था और नीतीश कुमार से भी कहा था कि विधायकों की इज्जत तभी बढ़ेगी, जब अफसर उनकी बात सुनें और काम करें.

तेजस्वी यादव बोले- सरकार का गिरना तय

वहीं, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि गिरी हुई सरकार का गिरना तय है. उन्होंने कहा, ''जेडीयू के मंत्री और अतिपिछड़ा समाज से आने वाले मदन सहनी की बात चपरासी तक नहीं सुनता, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव उनका फोन नहीं उठाते. मदन सहनी ने कहा है कि अधिकारियों के संपत्तियों की जांच कराई जाए और खासतौर पर मुख्यमंत्री के आस-पास रहने वाले अधिकारियों की. अगर मंत्री की नहीं सुनी जा रही है तो आम आदमी की क्या सुनी जाएगी. बीजेपी के विधायक मंत्री पर आरोप लगा रहे हैं कि उनके विभाग में बिना आरसीपी टैक्स लिए कोई काम नहीं हो रहा. मुख्यमंत्री मुंह मे दही जमाये बैठे हैं, अब तो नीतीश कुमार को अपनी अंतरात्मा को जगाना चाहिए.''

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