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मनीष कश्यप को लगा झटका, इस वजह से सुप्रीम कोर्ट में नहीं हुई सुनवाई

फर्जी वीडियो शेयर करने के मामले में यूट्यूबर मनीष कश्यप को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिल पाई है. कोर्ट में आज उनके केस की सुनवाई नहीं हो पाई. मनीष कश्यप ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है जिसमें जमानत देने की अपील की है. यूट्यूबर ने अलग-अलग राज्यों में दर्ज केस को भी एक जगह लाकर सुनवाई करने की मांग की है.

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मनीष कश्यप को नहीं मिली राहत
मनीष कश्यप को नहीं मिली राहत

बिहारी मजदूरों की कथित पिटाई का फर्जी वीडियो शेयर करने के मामले में बिहार के चर्चित यूट्यूबर मनीष कश्यप की मुश्किलें खत्म नहीं हो रही हैं. उन्हें सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है. उनकी याचिका पर सोमवार को सुनवाई ही नहीं हो पाई. मनीष ने जमानत लेने और अलग-अलग राज्यों में दर्ज केसों की सुनवाई एक जगह करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी.  

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यूट्यूबर के खिलाफ कई राज्यों में दर्ज FIR को एकसाथ जोड़ने और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत लगाए गए आरोपों को हटाने की अर्जी पर सुनवाई के लिए उनका केस सोमवार को लिस्ट ही नहीं हो पाया. वह अभी तमिलनाडु में न्यायिक हिरासत में हैं.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में मनीष की तरफ से उनके वकील ने कोर्ट नंबर 13 में जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस संजय करोल की पीठ के सामने याचिका लगाई थी. उनका केस नंबर 63 था, लेकिन लंच तक सिर्फ 43 मामलों की ही सुनवाई हो पाई. लंच ब्रेक के बाद इस पीठ के जजों को दूसरी पीठ में बैठकर मुकदमे सुनने हैं.

मनीष का आरोप- झूठी एफआईआर कराई गई दर्ज 

अब आगे यह मामला जब cause list में सूचीबद्ध होगा तब इसकी सुनवाई होगी. पिछली सुनवाई में मनीष कश्यप के वकीलों ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाया गया है. मनीष ने आरोप लगाया है कि वर्तमान सत्ताधारी सरकार के इशारे पर बिहार और तमिलनाडु में उनके खिलाफ कई झूठी एफआईआर दर्ज की गई है.

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खुद को सन ऑफ बिहार लिखता है यूट्यूबर 

बता दें कि मनीष कश्यप का जन्म 9 मार्च 1991 को बिहार के पश्चिम चंपारण के डुमरी महनवा गांव में हुआ. मनीष खुद को 'सन ऑफ बिहार' (Manish Kasyap, Son of Bihar) लिखता है. उसका असली नाम त्रिपुरारी कुमार तिवारी है. अपने नाम के पीछे वो 'कश्यप' लगाता है.

हालांकि, ज्यादातर जगहों पर 'मनीष' लिखता है. उसकी शुरुआती शिक्षा गांव से ही हुई. उसने साल 2009 में 12वीं पास की. इसके बाद में महारानी जानकी कुंवर महाविद्यालय से उच्च शिक्षा पूरी हुई. मनीष ने साल 2016 में पुणे की सावित्रीबाई फुले यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियरिंग में BE किया. इसके दो साल बाद यूट्यूब चैनल बनाकर वीडियो बनाने लगा.

2020 में चुनाव लड़ चुका है मनीष

साल 2020 में बिहार की चनपटिया विधानसभा सीट से त्रिपुरारी उर्फ मनीष ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था. नामांकन के समय चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में मनीष ने बतौर प्रत्याशी अपना नाम त्रिपुरारी कुमार तिवारी बताया था. मनीष के पिता उदित कुमार तिवारी भारतीय सेना में रहे हैं.

क्या था पूरा मामला?

सोशल मीडिया पर दावा किया गया था कि तमिलनाडु में रहने वाले बिहारियों के खिलाफ हमले हो रहे हैं, जिसमें दो बिहारी मजदूरों की मौत भी हो गई. सोशल मीडिया पर कई वीडियो पोस्ट किए गए.

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इसके बाद तमिलनाडु में रहने वाले बिहारी मजदूरों के बीच दहशत का माहौल बन गया था. इन वीडियो को सच मानकर बिहार के मुख्यमंत्री ने हस्तक्षेप किया और मुख्य सचिव व डीजीपी को मामले की जांच का आदेश दिया. मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद 4 सदस्यीय टीम तमिलनाडु गई थी, जहां मामले की पड़ताल की गई.

 

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