चर्चित यूट्यूबर मनीष कश्यप के खिलाफ बेतिया कोर्ट ने प्रोडक्शन वारंट जारी कर दिया है. चनपटिया क्षेत्र से बीजेपी विधायक उमाकांत सिंह के साथ विधानसभा चुनाव के दौरान मारपीट और रंगदारी मांगने के आरोप में न्यायालय ने वारंट जारी किया है. मनीष भी उसी सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहा था.
गौरतलब है कि तमिलनाडु में बिहार मजदूरों के साथ मारपीट का फर्जी वीडियो बनाने के मामले में तमिलनाडु की जेल में बंद यूट्यूबर मनीष की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. यूट्यूबर पर आधा दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं. मगर, विधायक उमाकांत सिंह के मामले में उसकी परेशानी बढ़ने वाली है.
27 जून को बेतिया कोर्ट में मनीष को पेश किया जाएगा
बेतिया कोर्ट ने उसे मदुरै की जेल से बेतिया कोर्ट में पेश होने के लिए वारंट जारी किया है. पुख्ता सुरक्षा-व्यवस्था के बीच उसे बेतिया कोर्ट में 27 जून को पेश किया जाएगा. उधर, बैंक मैनेजर के साथ दुर्व्यवहार और सरकारी कार्य में बाधा डालने को लेकर 2022 में एक मामला दर्ज कराया गया था.
तमिलनाडु पुलिस उसे ट्रांजिट रिमांड पर साथ ले गई थी
इसमें 18 मार्च 2023 को पुलिस कुर्की-जब्ती के बाबत मनीष कश्यप के घर गई थी. इस कार्रवाई के बाद उसी दिन मनीष कश्यप ने जगदीशपुर थाने में सरेंडर कर दिया था. इसके बाद तमिलनाडु पुलिस उसे ट्रांजिट रिमांड पर अपने साथ ले गई थी. मनीष कश्यप पर NSA भी लगा है. आर्थिक अपराध इकाई ने भी मनीष कश्यप पर कई मामले दर्ज किए हैं.
उधर, एनएसए की कार्रवाई को लेकर अप्रैल में हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को नोटिस भी जारी किया था. साथ ही कश्यप को मदुरै केंद्रीय कारागार से कहीं और स्थानांतरित नहीं करने का भी निर्देश दिया था. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कश्यप की राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका पर ये नोटिस जारी किया.
'फर्जी खबरों के कारण मौतें हुईं और यह कोई छोटा मामला नहीं'
तमिलनाडु पुलिस की ओर से पेश हुए अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ को बताया था कि फर्जी खबरों के कारण मौतें हुईं और यह कोई छोटा मामला नहीं है. सभी एफआईआर को क्लब करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. पीठ ने सिब्बल से पूछा कि यूट्यूबर पर एनएसए क्यों लगाया गया?
सिब्बल ने इसका जवाब देते हुए कहा, "कश्यप के सोशल मीडिया में लगभग 60 लाख फॉलोअर्स थे, उनके वीडियो से प्रवासी श्रमिकों में व्यापक दहशत और भय पैदा हो गया था. यह वीडियो एक राजनीतिक एजेंडे के साथ बनाए गया था. सिब्बल की दलील का समर्थन करते हुए बिहार सरकार के वकील ने भी यह कहते हुए मामलों को बिहार स्थानांतरित करने का विरोध किया कि कश्यप आदतन अपराधी थे और उनके खिलाफ कई मामले लंबित थे.
(रिपोर्ट: रामेंद्र गौतम)