पटना में गांधी मैदान के बाहर मची भगदड में 33 लोगों की मौत तथा 29 लोगों के घायल होने के बाद विपक्ष के हमलों के बीच मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने स्वयं के ‘डमी मुख्यमंत्री’ होने के आरोप का जोरदार खंडन किया. उन्होंने शनिवार को पटना में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं अन्य राज्यों में भी घटित होती रही हैं.
बिजली का तार टूटकर गिरने की अफवाह और जमीन पर लोहे की छड़ के टूटे होने व वहां मौजूद खड्ड के कारण इस हादसे के होने की चर्चा के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जांच दल को सभी पहलुओं पर गौर करने के निर्देश दिए गए हैं. और जांच रिपोर्ट आने पर सच्चाई सामने आ जाएगी.
मांझी ने कहा कि प्रत्यक्षदशियों से पूछा जाएगा और इस बारे में जांच दल उन्हें गंभीर रिपोर्ट देंगे. अगर पुलिस तंत्र में कमी पाई गई तो उसे हम ठीक करेंगे. उन्होंने कहा कि घटना के पीछे कोई न कोई कारण तो जरूर रहा होगा. घटना के बारे में विभिन्न लोगों से हमारी जो बातें हुई, उसमें अलग-अलग कारण बताए गए हैं. जांच के बाद ही सच्चाई सामने आएगी.
मांझी ने कहा कि इसमें प्रशासन की भी गलती हो सकती है. पूजा समिति की भी गलती हो सकती है और स्वयं भीड की भी गलती हो सकती है. मुख्यमंत्री मांझी ने कहा कि समयक रूप से जिम्मेवारी सबकी है और हम सरकार में शामिल लोग कैसे कहेंगे कि हमारी जिम्मेवारी नहीं है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी के मुख्यमंत्री की सुरक्षा में पुलिस के लगे होने के आरोप के बारे में मांझी ने कहा कि पूरा तंत्र मुख्यमंत्री की सुरक्षा में नहीं लगा रहता है. उसके लिए एक मापदंड तय है कि मुख्यमंत्री की सुरक्षा में इतने पुलिसकर्मी और पदाधिकारी रहेंगे, उतने ही लोग लगे हुए थे और बाकी सब गांधी मैदान में थे.
विपक्ष के उन्हें ‘डमी मुख्यमंत्री’ होने के आरोप के बारे में पूछे जाने पर मांझी ने उसका जोरदार खंडन करते हुए कहा कि वे उन पर ऐसा आरोप उनकी सामान्य पृष्ठभूमि और अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय से आने के कारण लगाया जाता है. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के आरोप कि इस हादसे के बाद केंद्र द्वारा चिकित्सकीय सहायता देने की पेशकश किए जाने तथा एनडीआरएफ की टीम के तैयार होने के बावजूद राज्य सरकार ने मदद लेने से इंकार कर दिया, मांझी ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने उनसे कहा था कि अगर राज्य को किसी प्रकार की जरूरत है तो वे उससे उन्हें अवगत कराएं.
मांझी ने कहा हमने इस हादसे में घायल लोगों में से प्रत्येक के इलाज के लिए पटना मेडिकल अस्पताल में दो-दो डाक्टरों को लगा रखा था ऐसे में बाहर से किसी प्रकार की चिकित्सकीय सहायता की आवश्यकता नहीं थी तो हम केंद्र से सहायता क्यों मांगते.