बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बेतुकी बयानबाजी का नया नमूना पेश किया है. उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र में बिजली के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे एक गुट से दो टूक कह दिया कि उन्होंने कोई फर्क पड़ता कि वे लोग उनके लिए वोट करते हैं या नहीं.
दरअसल, गुरुवार को जहानाबाद में बिहार के सीएम अपने विधानसभा क्षेत्र मखदूमपुर में एक रैली को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान कुछ लोग अपने गांव में बिजली को लेकर विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे. प्रदर्शनकारियों के हाथों के तख्तियां थीं जिसपर लिखा था, 'बिजली नहीं तो वोट नहीं...' विरोध देखकर जीतन राम मांझी ने कहा, 'मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप लोग मुझे वोट देंगे या नहीं. ऐसे विरोध प्रदर्शन का क्या मतलब? वैसे भी आप लोग मुझे वोट नहीं देते.'
मांझी यही नहीं रुके. उन्होंने बड़े बेबाक अंदाज में प्रदर्शनकारियों से पूछा, 'आपको क्या लगता है कि मैं आपके वोट से जीतता हूं? आपके वोट नहीं मिलने का डर किसे लगता है? मुझे दूसरे लोग वोट देते हैं इसलिए जीतता हूं. जीतन राम मांझी आप लोगों की वोट नहीं देने की खोखली धमकी से नहीं डरने वाला.'
कुछ देर जीतन राम मांझी का गुस्सा शांत हुआ तो उन्होंने एक बार भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार अगले साल सितंबर महीने तक जहानाबाद जिले के हर गांव तक बिजली पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है. मांझी ने बाद में अपने बयान पर सफाई भी दी. उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन कर रहे लोग भी उनके अपने हैं.
हालांकि बिहार के सीएम के इस बयान ने विपक्ष को सियासी वार करने का एक और मौका दे दिया. बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष नंदर किशोर यादव ने कहा, 'मांझी का यह बयान सत्तारूढ जेडीयू और आरजेडी नेताओं की सोच को दर्शाता है. एक विधायक सिर्फ उसे वोट देने वालों लोगों का नेता नहीं होता, वह पूरे क्षेत्र का विधायक होता है. वह अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं. ऐसे बयान समाज को बांटने का काम करते हैं.'
यह पहला मौका नहीं है जब जीतन राम मांझी के बयान पर सियासी बखेड़ा खड़ा हुआ. उन्होंने हाल ही में दलित छात्रों को जात-पात छोड़कर अंतरजातीय विवाह करने की अपील की थी. उन्होंने कहा कि अगर दलितों को राजनीतिक ताकत बनना है तो उन्हें जनसंख्या भी बढ़ाना होगा.