बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है और वे लगातार यह जता रहे हैं कि राज्य के असली बॉस वो हैं. एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक मांझी ने पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खास चहेते अफसरों को भी महत्वपूर्ण पदों से हटा दिया है. इतना ही नहीं उन्होंने कई बड़े पदों पर दलित आईएएस अफसरों को बहाल कर दिया है.
ध्यान रहे कि नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद अपना पद मांझी को दे दिया था. इसके पीछे उनकी चाल थी कि बिहार के महादलित वर्ग पर उनकी पकड़ बनी रहे, क्योंकि मांझी उसी वर्ग से आते हैं. नीतीश को उम्मीद थी कि मांझी उनकी बातों पर चलेंगे और उनसे हर बात में राय लेंगे. लेकिन मांझी दिन ब दिन अपने फॉर्म में आते जा रहे हैं. उन्होंने न केवल कई विवादास्पद बयान दिए बल्कि कई मुद्दों पर खुद ही फैसला लिया. ये बातें नीतीश कुमार के चहेतों को चुभ रही हैं.
जेडीयू के एक नेता ने अखबार को बताया कि मांझी से उम्मीद थी कि वह चुपचाप काम करेंगे और नीतीश कुमार के अधूरे कार्यों को अंजाम देंगे. लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि वह अपने एजेंडे पर काम कर रहे हैं और नीतीश की छाया से निकलने की कोशिश कर रहे हैं. उस नेता ने कहा कि मांझी को बदलने का वक्त आ गया है नहीं तो यह नीतीश कुमार को खा जाएगा.
उस नेता ने कहा, मुख्यमंत्री मांझी में कोई व्यक्तिगत महात्वाकांक्षा नहीं है. लेकिन वह अब मजबूती से फैसले ले रहे हैं. इसलिए जेडीयू के कई नेता उनसे दुखी हैं. इतना ही नहीं उन्होंने कई ऐसे बयान दिए हैं जिनसे लगता है कि वह महादलित वर्ग में अपनी पोजीशन मजबूत करना चाहते हैं. इससे भी पार्टी के कई नेताओं में असंतोष है. बताया जाता है कि पार्टी प्रमुख शरद यादव भी उनसे खुश नहीं हैं और उन्होंने सीएम से सावधानी बरतने को कहा है. लेकिन मांझी पर कोई असर नहीं पड़ा है.