जम्मू कश्मीर के उरी सेक्टर में हुए आतंकी हमले के एक साल पूरे हो गए लेकिन हमले में शहीद सुनील कुमार विद्यार्थी के परिजनों की शिकायत है कि नेताओं की ओर से उस वक्त किए वादे अब तक पूरा नहीं हुए हैं. पिता ने खेत बेचकर बेटे का स्मारक तो बनवा दिया है लेकिन उस समय गांव में शहीद सुनील के नाम पर स्वास्थ्य केन्द्र, स्कूल का नाम और तोरण द्वार बनाने के जो वादे सरकार ने किए थे वह अभी तक अधूरे हैं. शहीद के पिता मथुरा प्रसाद यादव कहते हैं ''बेटे की शहादत पर 15 दिनों तक बड़े-बड़े लोग उनके गांव आए वादे भी किए लेकिन हुआ कुछ भी नहीं.''
गया जिले के परैया प्रखंड का बोकनारी गांव में शहीद सुनील कुमार विद्यार्थी का पैतृक घर है. इस गंव की बात करें तो यहां आने का एक कच्चा रास्ता है जो बरसात के दिनों में बन्द हो जाता है. उरी हमले में शहीद होने के बाद शहीद सुनील कुमार विद्यार्थी के गांव कई बड़े नेता गए और कई वादे भी किये लेकिन आज तक इस गांव में कोई नया काम नहीं हुआ . यहां तक कि शहीद सुनील का स्मारक भी उनके पिता ने खेत बेच कर बनवाया है.
शहीद सुनील अपने पूरे परिवार का सहारा था क्योंकि एक भाई हेपेटाइटिस बी से ग्रसित है जिसके इलाज का जिम्मा भी सुनील पर ही था. सुनील के जाने के बाद अब परिवार अपने खेत बेच कर बेटे का इलाज कराने को मजबूर है. शहीद जवान की बूढ़ी मां कुन्ती देवी कहती हैं कि हमने पाल-पोष कर देश की रक्षा के लिए अपना बेटा सरकार को दे दिया, अब बेटा नहीं रहा तो सरकार को चाहिए कि मां-बाप, परिवार, बच्चों के लिए कुछ करे. अगर नहीं दे सकती है तो हमें भी उरी पहुंचा दें ताकि हम भी आतंकियों की गोली से मर जायें . सरकार ने अगर सर्जिकल स्ट्राइक कर बदला लिया तो क्या हुया, मेरा बेटा वापस तो नहीं आएगा.
शहीद जवान के पिता मथुरा प्रसाद यादव ने कहा कि उरी हमले का बदला पाकिस्तान पर सीधा हमला करने से ही लिया जा सकता है और यही उनके बेटे के लिए शहादत होगी. पिता ने कहा कि अगर सरकार ऐसे ही शहीदों के परिवार से किए गए वादों से सरकार ऐसी ही मुकरती रही तो कोई अपने बेटों को सेना में नहीं भेजेगा.