लालू यादव के साथ मिलकर बिहार की राजनीति को नया रंग देने में जुटे नीतीश और शरद यादव के खिलाफ उनकी ही पार्टी के एक विधायक ने बगावत का झंडा बुलंद कर दिया है. एक समय पूर्व मुख्यमंत्री के लाडले रहे विधायक राजीव रंजन ने पहले प्रदेश अध्यक्ष को चिट्ठी लिखकर अपनी नाराजगी जताई, तो सोमवार को खुले तौर पर ऐलान कर डाला कि पार्टी के 64 विधायक इस फैसले के खिलाफ है.
नीतीश के गृह जिले नालंदा के इस्लामपुर से विधायक राजीव रंजन ने लालू के साथ हाथ मिलाने के मसले पर सीधे-सीधे चेतावनी दे डाली. रंजन ने कहा, 'राजद अध्यक्ष के साथ जाने का मतलब है जंगल राज के साथ जाना और हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे.'
राजीव रंजन ने दावा किया कि 117 में 64 विधायक ऐसे है जो पार्टी की इस सोच के खिलाफ है कि बीजेपी को हराने के लिए लालू यादव से हाथ मिलाना चाहिए.
इसके साथ ही राजीव रंजन ने पार्टी आलाकमान पर यह भी तोहमत जड़ दिया कि बीजेपी से गठबंधन तोड़ते वक्त विधायकों की राय नहीं ली गई और अब जबकि नया गठबंधन बनाया जा रहा है, तो भी विधायकों की राय को अहमियत नहीं दी जा रही. उन्होंने कहा, '20 तारीख को पार्टी कार्यसमिति की बैठक में लालू के साथ जाने के खिलाफ अपनी बात रखेंगे.'
पार्टी के भीतर उभरते बगावती तेवर को देखते हुए नीतीश कुमार ने भी इसे कुचलने में देर नहीं लगाई और साफ कर दिया कि पार्टी अपना फैसला लेगी, जिसे अपना रास्ता चुनना है वो चुन ले. नीतीश ने साफ-साफ इशारा कर दिया कि लालू से हाथ मिलाने को पार्टी तैयार है, लेकिन अभी गंठबंधन के फार्मूले पर बातचीत होना बाकी है.
नीतीश ने कहा, 'हम गठबंधन के पक्षधर है, लेकिन पार्टी के किसी एक विधायक को बुरा लग रहा है तो वो अपनी बात कह रहा होगा. अगर पार्टी में रहना होगा, तो पार्टी के फैसले के साथ जाएंगे या कही और जाने का मन होगा तो यह एक बहाना होगा. निर्णय होगा, तो एक होगा और इस तरह के फैसले की संभावना है.'
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने आगे जोड़ा कि बिहार और देश की राजनीति को देखते हुए नए गठबंधन से इंकार नहीं किया जा सकता. जो गोलबंदी होगी वह एक राजनीतिक फैसला होगा, लेकिन अभी तक कोई बातचीत नहीं हुई है.